2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा कैसे दो फाड में बटी ये किसी से छुपा नहीं। चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के रिश्ते में ऐसी खटास आई कि दोनों अलग हो गए। शिवपाल ने सपा का साथ छोड़ अपनी खुद की पार्टी बना ली। दोनों बार राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल ने NDA का साथ दिया।
अगर ध्यान से देखा जाए तो यह बात साफ तौर पर दिखती है कि शिवपाल के करीबी लगातार सपा का साथ छोड़ रहे है। इनमें फर्रुखाबाद के सपा नेता, कई बार के विधायक रहे नरेंद्र सिंह यादव सपा छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ उनकी जिला पंचायत अध्यक्ष बेटी और सपा के दूसरे पदाधिकारी भी बीजेपी में चले गए। इसी तरह अजय त्रिपाठी मुन्ना भी बीजेपी में चले गए। गाजीपुर से सपा सरकार में मंत्री रही और शिवपाल की करीबी शादाब फातिमा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गई।
बात उस समय है कि जब मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे थे। उस वक्त अखिलेश और डिंपल की मौजूदगी में शिवपाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बहू हमें टीपू (अखिलेश) का भरोसा नहीं है। अब तुम ध्यान रखना।’ हालांकि, डिंपल जीती। पूरा परिवार एकजुट दिखा। लेकिन धीरे-धीरे लगने लगा कि सब कुछ ठीक नहीं है।
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कहते है राजनीति में कुछ भी अचानक से नहीं होता। महाराष्ट्र में जिस तरह से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दो फाड़ हुआ उसकी पटकथा पहले लिखी जा चुकी थी। ठीक उसी तरह यूपी में शिवपाल को लेकर दो नेताओं के बयान कहीं ये तो इशारा नहीं कर रहे है कि लोकसभा चुनाव से पहले चाचा शिवपाल भतीजे अखिलेश को जोर का झटका धीरे से न दें। वैसे भी शिवपाल यादव भी सपा में अपना भविष्य न देखकर कहीं एनडीए के साथ चले जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।