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क्या ‘जातीय जनगणना’ का मुद्दा उठाकर पिछड़ों के वोटरों में सेंध मार पाएगी सपा ?

UP Caste Census: सपा जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर ब्लॉक स्तर तक अभियान चलाएगी। इस अभियान के तहत सपा पिछड़ों को जोड़ने का प्रयास करेगी। अब सवाल यह उठता है कि क्या सपा पिछड़े वर्ग के वोटरों में अपनी पैठ बना पाएगी ?

Feb 19, 2023 / 02:32 pm

Anand Shukla

ब्लॉक स्तर पर संगोष्ठी करके लोगों को जागरुक करेगी सपा

समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में जोड़ने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सपा जातीय जनगणना का मुद्दा लेकर ब्लॉक स्तर तक अभियान चलाएगी। यह अभियान 24 फरवरी से लेकर 5 मार्च तक चलेगा। अभियान की शुरुआत पूर्वांचल से होगा।
सपा रामचरित मानस विवाद के बाद जातीय जनगणना के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठा रही है। सपा का कहना है जब देश और प्रदेश में जातीय जनगणना होगा तभी विभिन्न जातियों के संवैधानिक अधिकार सुरक्षित होंगे। सभी को उनकी संख्या के अनुसार हक और सम्मान मिल सकेगा।
जाति जनगणना की मांग पर लोगों को जागरूक करेगी सपा

सपा अब जातीय जनगणना को हवा देने के लिए अपने अभियान में तेजी देने जा रही है। इस अभियान की अगुआई समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजपाल कश्यप करेंगे। हर जिले के विधानसभा क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर संगोष्ठियां किया जाएगा। सपा के नेता अन्य पिछड़ा वर्ग समेत सभी जातियों की जातिवार जनगणना की मांग को लेकर लोगों को जागरूक करेंगे।
क्या पिछड़ा वर्ग वोट में सेंध लगा पाएगी सपा
कहा जाता है दिल्ली की कुर्सी पर वही काबिज होता है, जिसे यूपी की जनता बैठाती है। यूपी में सपा मुख्य विपक्षी दल है। ऐसे में सपा की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। सपा के साथ मुस्लिम और यादव वोटों के साथ अगर पिछड़ी जातियां भी आती हैं तो चुनाव में परिणाम कुछ अलग हो सकते हैं।
माना जाता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को यादवों और मुस्लिमों के साथ ओबीसी वोट भी बड़ी संख्या में मिले। इसी का नतीजा रहा है कि सपा के वोट में 10% की बढ़ोत्तरी हुई। विधानसभा चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत 32% हो गया।
अब सपा चाहती है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर जोर देकर आने वाले लोकसभा चुनाव में 80 बनाम 20 किया जाए। सपा में यादवों वर्ग के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग को अपने पाले में लाना चाहती है। जिससे आगामी चुनाव में बीजेपी को मात दिया जा सके।
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राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पिछड़ों को दी गई जगह
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हॉल ही में नई कार्यकारिणी का गठन किया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इसका असर देखने को मिला। सपा ने यादव और मुस्लिम के साथ दलित और अति पिछड़े समुदाय को साधने की पूरी कोशिश की गई। कार्यकारिणी में कुर्मी, जाट, निषाद, राजभर, जाटव, पासी, विश्वकर्मा, पाल चौहान समुदाय के नेताओं को भी जगह दी गई है।
64 चेहरों में 16 अति पिछड़े वर्ग
सपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यादव के अलावा अन्य पिछड़ों को जगह देकर लोगों को मैसेज दिया है। अखिलेश यादव ने सभी वर्गों को लुभाने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 64 चेहरों को शामिल किया है। जिसमें 10 यादव, 5 कुर्मी और 16 अति पिछड़े वर्ग के हैं। कार्यकारिणी में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं की कुल संख्या 31 है यानी कार्यकारिणी की कुल संख्या की करीब आधी है। इससे माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ओबीसी और दलितों को सकारात्मक मैसेजे देने के लिए पिछडे वर्ग के नेताओं को जगह दी है।
बीजेपी का किला भेदना सपा की राह नहीं होगी आसान

समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी को घेरना चाहती है लेकिन राह आसान नहीं होगी। भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ों 8 सालों में ओबीसी वोटरों में अपनी पैठ बना ली है। इसके अलावा अति-पिछड़ों से लेकर दलितों तक में भी बीजेपी ने अपनी जगह बना ली है।
मोदी युग में बीजेपी ने सरकार से लेकर संगठन तक सामाजिक समीकरण दुरुस्त किए हैं। पिछड़ों, अति-पिछड़ों से लेकर दलितों के नेताओं को सरकार में संगठन में भागीदारी दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा एक साथ आ गए थे तब माना जा रहा है कि बीजेपी को शिकस्त दे देंगे लेकिन यह प्रयोग बीजेपी ने फेल कर दिया।
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