वहीं नाम न छापने की शर्त पर अध्यापिकाओं ने बताया कि उनसे सीसीएल और मेटरनिटी लीव देने के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है।
बाबुओं के मकड़जाल का विरोध करना पड़ता है भारी
शिक्षक नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का कोई विरोध नहीं जता पाता क्योंकि जब अधिकारी विद्यालय पहुंचते हैं तो उन्हें कोई न कोई कमी दिखा ही दी जाती। कुछ नहीं तो स्कूल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करके उन्हें परेशान किया जाता है।
आगे बताते हैं कि बाबुओं के पसंदीदा अध्यापक जहां बिना विद्यालय गए ही मोटी तनख्वाह उतार रहे तो वहीं रोज विद्यालय जाने वाले अध्यापकों का सपोर्टिव सुपरविजन के नाम पर शोषण किया जा रहा। आए दिन सपोर्टिव सुपरविजन के नाम पर कोई न कोई विद्यालय पहुंचा ही रहता है और विभागीय बाबुओं से मिलकर अध्यापकों को विद्यालय की कोई न कमी दिखाकर वसूली की फिराक में रहता है।