दरअसल, ग्रेटर नोएडा से रोजाना निकलने वाले करीब 250 टन कूड़े को शहर के ही एक गांव लखनावली में डंप किया जाता है, यहां तकरीबन तीन लाख टन से अधिक कूड़ा जमा हो गया है जो प्राधिकरण के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया था। इस चिंता को दूर करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अब लखनावली में रेमेडिएशन प्लांट लगा दिया है, जिस से अब शहर के कूड़े को इखट्टा करने की बजाए डिस्पोज किया जा सकेगा।
ऐसे होगा कूड़े से ईंधन बनाने का काम रेमेडिएशन प्लांट से कूड़े को प्रोसेस करने पर खाद, आरडीएफ व मिट्टी मिलेगी. जहां कुल कूड़े में से करीब 50 फीसदी मिट्टी, 20 फीसदी खाद, 20-25 फीसदी आरडीएफ व 05 फीसदी इनर्ट वेस्ट मिलने का अनुमान है। वहीं, आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राइव्ड फ्यूल, प्रमुखतः प्लाटिस्टक वेस्ट) का इस्तेमाल फ्यूल बनाने में होगा।
इस फ्यूल का इस्तेमाल एनटीपीसी करने को तैयार है. उससे बातचीत चल रही है. उससे करार जल्द होने की उम्मीद है. एनटीपीसी इसका इस्तेमाल ऊर्जा के उत्पादन में करेगा. इससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आमदनी भी होगी
इस प्लांट से रोजाना 10 ट्रक से अधिक मिट्टी निकलेगी, जिसका इस्तेमाल छह प्रतिशत आबादी प्लॉट को विकसित करने व अन्य सड़कें बनाने में किया जाएगा. इस प्लांट से निकलने वाले खाद को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शहर की हरियाली बढ़ाने में उपयोग करेगा. इनर्ट वेस्ट को लैंडफिल साइट पर डंप किया जाएगा.
सीईओ नरेंद्र भूषण ने लिया कूड़े से ईंधन बनाने का निर्णय ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर इस कूड़े को निस्तारित करने के लिए रेमेडिएशन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया, रेमेडिएशन प्लांट लगाने के लिए टेंडर जारी किया गया था जिसमे ब्राजील की कंपनी लारा का चयन किया गया। इस कंपनी ने भारतीय कंपनी एवियन एमरो के साथ मिलकर कूड़ा डिस्पोज करने के लिए ठेका लिया। जिसके बाद दोनो कंपनियों ने मिलकर लखनावली में इस प्लांट को तैयार किया।
एसीईओ दीपचंद्र ने बताई पूरी स्ट्रेटजी इस मौके पर एसीईओ दीपचंद्र ने कहा कि शहरीकरण का सबसे बड़ी चुनौती कूड़े का उचित प्रबंधन है. ग्रेटर नोएडा ने इस ओर बड़ा कदम उठाया है. लखनावली में एकत्रित कूड़े का प्रबंधन करना बहुत जरूरी था।
जो मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह उपयोगी है, लखनावली में डंप कूड़े में से किचन वेस्ट को अलग कर खाद बनाया जाएगा जिसका उपयोग प्राधिकरण अपनी बागवानी के लिए भी करेगा. इससे करीब 50 फीसदी कूड़ा खत्म हो जाएगा। शेष 50 फीसदी कूड़े में से प्लास्टिक वेस्ट को अलग कर रीसाइकिलिंग प्लांट को भेज दिया जाएगा. वहां आरडीएफ (प्रमुखतः प्लास्टिक वेस्ट) से फ्यूल या मल्टी लेयर बोर्ड बनेंगे, जिससे कुर्सी, बेंच, ट्री गार्ड जैसे उत्पाद बन सकेंगे. कंस्ट्रक्शन से जुड़े अवशेष का इस्तेमाल सड़कें बनाने और गड्ढे भरने में हो सकेगा
सीसीटीवी के जरिए रखी जाएगी नजर प्रतिनिधियों को पौधे भी भेंट किए गएदो साल में लखनावली में डंप कूड़े को साफ करने की योजना है. प्लांट पर सीसीटीवी कैमरे भी लगेंगे, जिससे प्राधिकरण को भी पता चल सकेगा कि कितना कूड़े का निस्तारण किया गया. इतना ही नहीं, प्लांट में कूड़े के निस्तारण प्रक्रिया पर ग्रेटर नोएडा के निवासी भी प्राधिकरण की वेबसाइट के जरिए नजर रख सकेंगे. इस प्रसंस्करण प्लांट के शुरू होने से ग्रेटर नोएडा को और स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी. इस मौके पर एवियन एमरो के प्रतिनिधियों की तरफ से प्राधिकरण के एसीईओ दीपंचद्र, डीजीएम सलिल यादव व ई एंड वाई के प्रतिनिधियों को पौधे भी भेंट किए गए.