बताया जा रहा है कि कांशीराम संयुक्त जिला अस्पताल अपनी अव्यवस्थाओं के लिए हमेशा ही जाना जाता रहा है । इस चिकित्सालय का आलम यह है कि यहां पर व्यवस्थाओं का नाम सिर्फ कागजी है और अवस्थाओं अंबार लगा हुआ है। कभी यहां पर विद्युत आपूर्ति ध्वस्त हो जाती है, तो कभी मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में किया जाता है। गंभीर बीमार मरीजों को स्ट्रेचर और व्हील चेयर के अभाव में कंधे पर ले जाया जाता है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मान्यवर काशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय में एक गंभीर बीमार मरीज के परिजन उसको अपने कंधे के सहारे इमरजेंसी वार्ड में ले जा रहे हैं। परिजन को अस्पताल में व्हील चेयर और स्ट्रेचर की कमी होने की कारण मरीज को दिखाने के लिए डॉक्टर के पास इसी तरह ले जाया जाता है। इस तरह की वीडियो सरकार के व्यवस्थाओं की पोल खोलती हुई नजर आ रही है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं
जिला अस्पताल में ये कोई पहला मामला नहीं इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए है। जिनमें अस्पताल प्रशासन द्वारा सफाई देंकर जिम्मेदारियों से अपना पड़ा झाड़ लिया जाता है। कुछ दिनों पहले जिला चिकित्सालय में फैली अव्यवस्थाओं की पोल उस समय खुलती दिखाई दी थी जब जिला चिकित्सालय के पुरुष वार्ड में विद्युत आपूर्ति ध्वस्त हो जाने के कारण यहां मरीजों ने मोबाइल टार्च की रोशनी में अपनी गुजर-बसर की थी और वहां तैनात स्टाफ ने मरीजों को दवाइयां आदि मोबाइल टॉर्च की रोशनी में वितरित किए थे।
जिला अस्पताल में ये कोई पहला मामला नहीं इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए है। जिनमें अस्पताल प्रशासन द्वारा सफाई देंकर जिम्मेदारियों से अपना पड़ा झाड़ लिया जाता है। कुछ दिनों पहले जिला चिकित्सालय में फैली अव्यवस्थाओं की पोल उस समय खुलती दिखाई दी थी जब जिला चिकित्सालय के पुरुष वार्ड में विद्युत आपूर्ति ध्वस्त हो जाने के कारण यहां मरीजों ने मोबाइल टार्च की रोशनी में अपनी गुजर-बसर की थी और वहां तैनात स्टाफ ने मरीजों को दवाइयां आदि मोबाइल टॉर्च की रोशनी में वितरित किए थे।
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डिप्टी सीएम के औचक निरीक्षण के बाद नहीं सुधरती अस्पताल की व्यवस्थायूपी के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक लगातार प्रदेश के सरकारी अस्पतालों का दौरा कर रहे हैं। अचानक अस्पताल में पहुंचकर लाइन से पर्चा कटवाते हैं और दवाईयां लेते हैं। इसके अलावा अस्पताल में व्हील चेयर और स्ट्रेचर का जायजा लेते हैं,सही है कि नहीं । इसके बावजबद यूपी के स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल नहीं सुधर रहा है।