जिले की राजनिती पर नजर रखने वाले बताते है कि वरुण गांधी भी मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा उनको टिकट नहीं देने वाली है। इसलिए वह लगातार पार्टी की नीतियों के खिलाफ जाकर बयान दे रहे हैं। मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर महाजनसंपर्क अभियान का आयोजन किया गया। इस दौरान भी वरुण नदारद रहे। पार्टी के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2024 के उम्मीदवार को लेकर आलाकमान के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।
यह तो तय हो गया है कि भाजपा अगले चुनाव में वरुण को टिकट नहीं देगी। लेकिन अपने मिशन 80 को पूरा करने के लिए पार्टी ने प्रत्याशी भ तय कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी जिसको उम्मीदवार बनाने जा रही है वह ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। लगातार दो बार से विधायक हैं। जिले में भी काफी लोकप्रिय हैं। पार्टी संगठन और सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार के भीतर भी उनकी अच्छी पकड़ है। उनके बारे में कहा जा रहा है कि यूपी चुनाव 2012 में वे बसपा उम्मीदवार के तौर पर उतरे थे। महज 4000 वोटों से सपा उम्मीदवार से हारे थे।
अगर भाजपा के इतिहास को देखा जाए तो वह कभी भी अपने सांसदों को पार्टी से नहीं निकालती। 2014 में पटना साहिब सीट से सांसद चुने गए शत्रुघ्न सिन्हा भी 2019 आते आते भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुलकर बोलने लगे इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें नहीं निकाला।
उन्होंने खुद पार्टी का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया और वे खुद रविशंकर प्रसाद के खिलाफ पटना साहिब से उतरे और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा लखनऊ में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ ताल ठोकते नजर आई। दोनों चुनाव में करारी हार झेलने को मजबूर हुए। ठीक इसी तरह से भाजपा यहीं तरीका वरुण के खिलाफ इस्तेमाल करेगी। अब देखना ये है कि क्या बेटे के चक्कर में मां मेनका की सांसदी बची रहती है या उन्हें भी वरुण के बगावत का नुकसान उठाना पड़ेगा।