दीपोत्सव में झारखंड के 150 आदिवासी
इस दीपोत्सव को विशेष बनाने के लिए झारखंड के 150 आदिवासी भी शामिल होंगे। यह आदिवासी स्वयंसेवक राम की पैड़ी और अन्य घाटों पर दीप सजाने और जलाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इससे इस आयोजन में पूरे देश से लोगों की भागीदारी सुनिश्चित होगी और भारत की सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलेगा। यह भी पढ़ें
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90 हजार लीटर सरसों तेल का इस्तेमाल
दीपोत्सव के भव्य आयोजन के लिए 90 हजार लीटर सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही 40 लाख रुई की बातियों का इंतजाम किया गया है, जो इन दीपों को प्रज्जवलित करने के लिए तैयार हैं। 25 अक्तूबर से ही स्वयंसेवक राम की पैड़ी पर दीपों को सजाने का कार्य शुरू कर देंगे। यह भी पढ़ें
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घाटों की संख्या बढ़ाई गई
इस बार दीयों की संख्या में वृद्धि के चलते घाटों की संख्या भी 51 से बढ़ाकर 55 कर दी गई है। चौधरी चरण सिंह घाट और भजन संध्या स्थल जैसे नए घाटों को भी इस आयोजन में शामिल किया गया है। राम की पैड़ी के साथ-साथ इन घाटों पर भी दीप जलाकर अयोध्या नगरी को रोशन किया जाएगा।10 हजार नागरिक होंगे शामिल
इस बार दीपोत्सव में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए 10 हजार स्थानीय लोगों को भी दीप जलाने का अवसर मिलेगा। इसके लिए राम की पैड़ी पर चौड़े-चौड़े प्लेटफॉर्म वाली सीढ़ियां बनाई गई हैं, जो स्टेडियम जैसी दिखती हैं। इससे अधिक से अधिक लोग एक साथ इस आयोजन का हिस्सा बन सकेंगे।राम के भव्य महल में विराजमान होने से खास होगा आयोजन
दीपोत्सव के नोडल अधिकारी डॉ. एसएस मिश्र ने जानकारी दी कि इस बार दीपोत्सव को और भी भव्य बनाने के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। श्री राम भव्य महल में विराजमान हो चुके हैं, जिससे इस बार का दीपोत्सव अद्वितीय होगा। इस महल की सजावट और दीपों की भव्यता से अयोध्या की ऐतिहासिक छवि को निखारा जाएगा।दीपों के जरिए अयोध्या का नया रिकॉर्ड
अयोध्या में दीपोत्सव के जरिए प्रतिवर्ष नए रिकॉर्ड बनते आ रहे हैं। इस बार भी 25 लाख दीप जलाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा। इसके जरिए अयोध्या को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान मिलेगी। यह भी पढ़ें