उन्नाव. ईट भट्ठा मजदूर बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं। शासन द्वारा मिलने वाली कोई भी सुविधा इन्हें नहीं मिलती है। शिक्षा का अधिकार से भी ये बच्चे दूर है। इनमें अधिकांश श्रमिक गैर प्रांतों से रोजी-रोटी कमाने के लिए यहां आए हैं जो अपने परिवार के साथ रहते हैं बच्चे भी मिट्टी में खेल कर बड़े हो रहे हैं। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में श्रम अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि मौके पर जाकर पुरुष और महिला मजदूरों की संख्याओं का आकलन करें। साथ ही बच्चों के विषय में भी जानकारी प्राप्त करें। उन्हें क्या सुविधाएं मिल रही है। इसकी भी जानकारी प्राप्त कर रिपोर्ट तैयार करें।
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अपने अधिकारों से अनजान है भट्ठा श्रमिक
मामला भट्ठा मजदूरों से जुड़ा है। भट्ठा पर काम करने वाले श्रमिक बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं। शासन से मिलने वाली कोई भी सुविधा इन तक नहीं पहुंच पा रही है। यहां तक कि वैक्सीनेशन के मामले में भी भट्ठा मजदूर दूर है। मिली जानकारी के अनुसार जनपद में 229 ईट भट्ठा काम कर रहे हैं। जिसमें लगभग 10000 श्रमिक काम कर रहे हैं। इनमें अधिकांश श्रमिक छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। भट्टा श्रमिकों की स्थिति काफी नाजुक है। इनमें अधिकांश श्रमिक परिवार के साथ रहते हैं। जिनके बच्चे भी भट्टे पर ही बड़े हो रहे हैं। आंगनवाड़ी केंद्र के कार्यकत्री भी इस दिशा में उदासीन है।जिले में 229 बच्चे संचालित है जिनमें 23000 मजदूर लगभग काम करते हैं। इस संबंध में बात करने पर मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल ने कहा कि श्रम अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत हुई है। उन्हें भट्ठा में काम करने वाले महिला और पुरुष समिति के साथ बच्चों की भी जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं । रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम, बाल विकास, पंचायत राज, विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर भट्टा श्रमिक के परिवार और उनके बच्चों के हित में योजना बनाई जाएगी।