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माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम: सौतेले माता-पिता भी शामिल

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के सभी प्रकार की हितों की रक्षा करने के लिए संसद में कानून बना है। जिसके अंतर्गत माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों को काफी अधिकार दिए गए हैं। जानें माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार-

उन्नावOct 13, 2023 / 11:43 am

Narendra Awasthi

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम: सौतेले माता-पिता भी शामिल

‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007’ के अंतर्गत माता-पिता को सुरक्षा प्रदान की गई है। जिसके अंतर्गत माता-पिता को कानूनी अधिकार मिलते हैं। इस संबंध में संसद में यह कानून पास किया गया है। जिससे वृद्ध व माता-पिता को कम खर्चीली और तेज गति से न्याय मिलने लगेगा। सफीपुर तहसील के तकिया निगोही वृद्धा आश्रम में वृद्ध माता-पिता को जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अपर जिला जज व सचिव मनीष निगम ने कानून के संबंध में जानकारी दी।

अपर जिला जज मनीष निगम ने बताया कि बुढ़ापे में नागरिकों की सेवा और सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे में ‘बुजुर्ग और माता-पिता आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125’ के अंतर्गत भरण पोषण खर्च प्राप्त करने के अधिकारी हैं। लेकिन यह कानून सामान्य कानूनी प्रक्रिया की तरह बहुत ही खर्चीला और लंबा है। इसलिए संसद में ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007’ पारित किया गया है। जो बहुत ही सरल, कम खर्चीली और तेज गति से कार्य करने वाली प्रक्रिया है।

माता-पिता के साथ सौतेले माता-पिता को भी शामिल

अपर जिला जज मनीष निगम ने बताया कि वरिष्ठ नागरिक कानून के अंतर्गत आने वाले बच्चों का मतलब है पुत्र-पुत्री, सुपौत्र-सुपौत्री से है। इसमें नाबालिक बच्चों को शामिल नहीं किया गया है। माता-पिता की परिभाषा को भी स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि इसमें पैदा करने वाले माता-पिता के साथ सौतेले माता-पिता को भी शामिल किया गया है। जिनके भोजन, स्वास्थ्य, मनोरंजन, जीवन के लिए आवश्यक अन्य सभी सुविधाओं की व्यवस्था करना शामिल है। बुजुर्गों को मकान में जीवन पर्यंत रहने का अधिकार है।

संपत्ति वापस लेने का भी अधिकार

ऐसे माता-पिता को भी कानून में मदद दी गई है। जिन्होंने उत्तराधिकारी अथवा रिश्तेदार को अपनी संपत्ति स्थानांतरित कर दी है। लेकिन बाद में उन्हें भरण पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है। ट्रिब्यूनल में अपील करके ऐसे बुजुर्ग अपनी जायदाद को वापस भी ले सकते हैं।

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60 साल से ऊपर को वरिष्ठ नागरिक का दर्जा प्राप्त

नायब तहसीलदार अनुपमा सिंह ने बताया कि 60 वर्ष के ऊपर प्रत्येक नागरिक को वरिष्ठ नागरिक का दर्जा प्राप्त है और वह सभी सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं। सरकारी बसों में कुछ सीटें वरिष्ठ नागरिकों के बैठने के लिए आरक्षित है। अक्षम वरिष्ठ नागरिक की शारीरिक और आर्थिक जरूर को पूरी करने के लिए उनके संतान बेटा-बेटी या पोता-पोती पर डाली गई है। जिम्मेदारी न उठाने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ दंड का भी प्रावधान है।

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