सावन के महीने में भक्तों का उमड़ता है जन सैलाब बाबा भोलेनाथ के निकलने की जानकारी पूरे क्षेत्र में फैल गई। दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े। इसी बीच भोले बाबा को अपने गांव में ले जाने के लिए आसपास के लोग लड़ने लगे। उन्होंने बताया कि माखी वाले कहने लगे कि भोले बाबा को मांखी ले जाना है। वही पर इनकी स्थापना करेंगे। दूसरी तरफ रऊ वाले कहने लगे कि हम लोग शिवलिंग की स्थापना रऊ में करेंगे। मुझे रऊ ले जाना है। परंतु भोले थे कि टस से मस नहीं हुए। शिवरानी ने बताया कि गांव वालों ने हाथी से निकलवाने का प्रयास किया। किंतु भोले निकलने का नाम ही नहीं ले रहे थे। इसके बाद भी लोग प्रयास करते रहें। इसी बीच मौके पर बरैया, सांप, बीछी बड़ी मात्रा में निकलने लगे। जिस से भयभीत ग्रामीण मौके से भाग निकले।
बाबा ने स्वप्न में बताया मेरा निवास जंगल है रात में भोले बाबा ने ग्रामीणों को स्वप्न दिया और कहा मैं जंगलेश्वर हूं और जंगल में ही रहूंगा। वही मेरा एक भाई भी निकलेगा, जो मंगलेश्वर होगा। हम दोनों भाई साथ रहेंगे और जंगल में ही हमारा निवास होगा। इस प्रकार जंगलेश्वर व मंगलेश्वर के नाम से मंदिर विख्यात हुआ। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां पूजा अर्चना करता है और मनौती मांगता है। उसकी मंशा भोले बाबा जरूर पूरी करते हैं। मंदिर के पुजारिन शिवरानी ने बताया उनकी सतवीं पीढ़ी मंदिर का देखरेख कर रही है। उन्होंने बताया कि सावन के महीने में यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। भंडारा और विभिन्न प्रकार की पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। मंदिर में भोले के दर्शन करने आए पूरन नगर निवासी शिव विलास विश्वकर्मा ने बताया कि भोले की पूजा जो सच्चे मन से करता है उसकी मनोकामना जरुर पूरी होती है।