जानकी कुंड परियर का नाम सामने आते ही आंखों के सामने माता जानकी के बनवास के दृश्य चित्रित होने लगते हैं। जानकी कुंड के पंडित रमाकांत तिवारी ने बताया कि जानकी कुंड परियर धार्मिक रूप से जनपद में ही नहीं आसपास के क्षेत्रों में भी विचार थे जहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग माता जानकी के दरबार में माथा टेकने आते हैं उन्होंने बताया कि लक्ष्मण द्वारा यहां पर जानकी को छोड़ा गया था जिसके बाद बाल्मीकि ने उन्हें अपने आज से दिया और यहीं पर उनके दो पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ उन्होंने बताया कि पास के गांव पावा में लव और कुश ने अश्वमेघ यज्ञ का अश्व पकड़ा था और विशाल वट वृक्ष में बांधा था उन्होंने बताया कि नवाबगंज के निकट स्थित कुशहरी देवी मंदिर में उसने माता की स्थापना की थी। पंडित रमाकांत ने बताया कि जानकी जयंती के मौके पर यहां भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और पूरा परिसर मेला शुरू हो जाता है अखंड रामायण के साथ भंडारे का भी आयोजन किया जाता है मैया जानकी सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।
उन्नाव से सड़क मार्ग द्वारा जानकी कुंड परियर जुड़ा हुआ है। जो जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर है। उन्नाव से थाना गांव होते हुए चकलवंशी चौराहा पहुंचा जाता है। यह उन्नाव सफीपुर, बांगरमऊ, हरदोई मार्ग पर स्थित है। चौराहे से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर परियर गांव मार्ग पर स्थित है जानकी कुंड। क्षेत्र में किसी से भी जानकारी करने पर जानकी कुंड परियर पहुंचा जा सकता है। गूगल मैप पर यह हिंदी में परियार व अंग्रेजी में PARIYAR के नाम से सर्च करने पर जानकारी सामने आती है।