उन्नाव

Honour killing: पिता ने पुत्र और भाई के साथ मिलकर अपनी बेटी को जिंदा जलाया, अब मिली आजीवन कारावास की सजा

Honour killing, court sentenced four to life imprisonment उन्नाव में अदालत में आनर किलिंग के मामले में पिता, भाई, चाचा सहित चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पाए गए अभियुक्तों ने किशोरी को मिट्टी तेल डालकर जला दिया था। उपचार कराने के नाम पर ले गए और गंगा नदी में फेंक दिया।

उन्नावOct 29, 2024 / 04:14 pm

Narendra Awasthi

Honour killing, court sentenced four to life imprisonment उत्तर प्रदेश के उन्नाव में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार अभियुक्तों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।‌ घटना 9 साल पहले की है। जब प्रेम संबंधों के शक पर पिता, भाई, चाचा और एक अन्य ने किशोरी की हत्या कर दी थी। शव को गंगा नदी में फेंक दिया था। गांव के ही रहने वाले ने इस संबंध में थाना में सूचना देकर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने 21 जुलाई 2016 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की। 8 साल चले सुनवाई के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों को दोषी माना और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामला बारासगवर थाना क्षेत्र का है।
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उत्तर प्रदेश ‘ऑपरेशन कनविक्शन’ थाना क्षेत्र के पचासा गांव के ही रहने वाले शिव शंकर ने 28 अगस्त 2015 को बारासगवर थाना में सूचना दी कि राम प्रताप यादव निवासी पचासा बारासगवर ने अपने पुत्र सिद्धराज, भाई रणवीर और बिंदेश यादव के साथ मिलकर अपनी बेटी बीना को मिट्टी तेल डालकर आग लगा दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। उसके शव को गंगा नदी में फेंक दिया। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। मुकदमा दर्ज किया गया और नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। विवेचक उप निरीक्षक श्रीकांत द्विवेदी ने 21 जुलाई 2016 को न्यायालय में अदालत चार्जशीट दाखिल की।

फास्ट ट्रैक कोर्ट में 8 साल चला मामला

अपर जिला एवं सत्र न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अदालत में अभियुक्तगणों को दोषी माना। सभी को आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। मामले की सुनवाई में अभियोजन विभाग की ओर से मनोज कुमार पांडे, विवेचक उपनिरीक्षक श्रीकांत द्विवेदी आदि का महत्वपूर्ण योगदान था।

मामले की सुनवाई में वादी कठिन दौर से गुजरा

वादी शिव शंकर को सुनवाई के दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मृतका के पिता राम प्रसाद को जमानत मिलने के बाद गवाह भी ठंडे पड़ गए। पुलिस को गवाही देने वाले ग्रामीण जमानत की मिलने के बाद अदालत गवाही देने नहीं आए। स्थिति यह रही कि शिव शंकर और उनके पुत्र को पूरे मामले में सक्रिय भूमिका निभानी पड़ी। वादी शिव शंकर की तरफ से अधिवक्ता महेंद्र सिंह टीटू ने अदालत में पक्ष रखा। शिव शंकर ने बताया कि रामप्रसाद ने अपनी बड़ी बेटी की भी हत्या कर शव को गायब कर दिया था। लेकिन प्रत्यक्षदर्शी ना होने के कारण कोई शिकायत नहीं हुई थी।

कौन है राम प्रसाद?

रामप्रसाद समाजवादी पार्टी का नेता है। गांव का पूर्व प्रधान भी रह चुका है। जिससे ग्रामीणों के साथ पुलिस पर भी उसका दबदबा था। उपरोक्त मामले में भी इसका असर दिखाई पड़ा। जब मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने गंभीरता के साथ छानबीन नहीं की। ‌ना तो घटनास्थल का नजरी नक्शा तैयार किया और ना ही साक्ष्य इकट्ठा किया। लेकिन ग्रामीणों की पुलिस गवाही से मामला मजबूत बन गया।

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