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मां गंगा के तट पर स्थित चंडिका देवी धाम के पंडित विजय शंकर तिवारी ने बताया कि पौराणिक काल में परम तपस्वी वक्र ऋषि का आश्रम भी यहीं पर था। जिनके नाम से क्षेत्र को बक्सर के नाम से जाना गया। मां चंडिका और मां अंबिका की मूर्ति स्वयं उत्पन्न हुई है। जिनका उल्लेख पुराणों में भी है।
मेघा ऋषि ने यहां पर ‘मां दुर्गा’ के महत्व के विषय में राजा सूरथ और समाधि वैश्य को सुनाया था। जो आगे चलकर दुर्गा सप्तशती के नाम से विख्यात हुआ। महाभारत काल के दौरान बलराम ने भी यहां की यात्रा की। जो भक्त मैया के दरबार में सच्चे मन से माथा टेकता है। उनकी मुरादे पूरी होती हैं। शक्कर के अंदर खोवा भरकर बनाई कुशली भक्तों को पसंद है।
कैसे पहुंचे सिद्ध पीठ मां चंडिका देवी धाम?
बक्सर स्थित सिद्ध पीठ मां चंडिका देवी धाम लखनऊ, कानपुर, उन्नाव रायबरेली, फतेहपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। जिला मुख्यालय से सिद्ध पीठ करीब 55 किलोमीटर है। लाल कुआं, ऊंचगांव होते हुए मां के दरबार तक पहुंचा जा सकता है। लखनऊ, रायबरेली से आने वाले भक्त उन्नाव-रायबरेली मार्ग पर स्थित बिहार तिराहे से मनकापुर, ऊंचगांव होते हुए मां के दरबार पहुंच सकते हैं।