उन्नाव

इस होली में जरा संभलकर, कहीं आपको बीमार न कर दे मिलावटी सामान

चिप्स, पापड़, गुजिया, रंग, अबीर, गुलाल सहित ऐसा कोई भी सामान नहीं है जिसमें मिलावटखोरों ने अपनी छाप न छोड़ी हो…

उन्नावFeb 25, 2018 / 12:27 pm

नितिन श्रीवास्तव

इस होली में जरा संभलकर, कहीं आपको बीमार न कर दे मिलावटी सामान

उन्नाव. होली के त्यौहार जैसे जैसे नजदीक आ रहा है बाजारों में रौनक बढ़ती जा रही हैै। रंग बिरंगी पिचकारी, अबीर, गुलाल से लेकर पापड़, चिप्स, नमकीन सब कुछ बाजार में उपलब्ध है। वही मिलावट का दौर भी चरम पर है। महंगाई से ज्यादा असर मिलावटखोरों का आम जन जीवन पर पड़ रहा है। जनपद के प्रमुख मंडियों में बड़े पैमाने पर व्यापारी खोवा लेकर पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन भी होली के अवसर पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो करना है। थाना में पीस कमेटी की बैठक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सभी से मिलजुल कर होली मनाए जाने की अपील की जा रही है। अराजक तत्वों पर विशेष नजर रखी जा रही है। नकली खाद्य पदार्थों पर भी प्रशासन की पैनी निगाह है। इसके लिए खाद सुरक्षा अधिकारी भी बाजार बाजार जाकर खाद्य सामग्री का नमूना ले रहे हैं। लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा की जा रही है। इस कार्यवाही से मिलावटखोरों पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है।
 


चारों तरफ मस्ती, बाजारों में रौनक

होली का त्योहार आते ही चारों तरफ मस्ती सी छा जाती है। इस मौके पर गुजिया का विशेष महत्व होने से खोवा की डिमांड बढ़ जाती है। बाजार में भारी मात्रा में व्यापारी खोवा लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो दूध की नदी बह रही हो और खोवा बनाकर व्यापारी बाजार में ला रहा है आ रहा है। आज बाजार में खोवा ढाई सौ से तीन सौ रुपए प्रति किलो बिक रहा है। परंतु शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। चिप्स, पापड़, गुजिया, रंग, अबीर, गुलाल सहित ऐसा कोई भी सामान नहीं है जिसमें मिलावटखोरों ने अपनी छाप न छोड़ी हो। रंग में भी मिलावट है। मिलावटखोरों के खिलाफ जिला प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है। लेकिन मिलावटखोरों के मजबूत जमे पैरों को उखाड़ना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।
 

होली की हुड़दंग और फाग का संगीत के बीच गांव में होली की मस्ती

गांव में होली का अपना ही आनंद होता है। परंतु समय के साथ गांव में भी होली कर रंग फाग की टोलियों के संग फीका होता जा रहा है। एक समय था। जब फाग की टोलियां ढोल मजीरा के साथ गांव के सभी दरवाजे पर पहुंचती थी और फाग गाते थे और उनका स्वागत है ठंडाई की ठंडक से होता था। परंतु आधुनिकता के दौर में पुराने रंग में नया रंग हावी हो गया। लोग अपने घरों में सिमटते चले गए। परंतु इसका दूसरा पहलू भी है। तमाम गांव होली में चमन बन जाते हैं। गांव शहर से लोग गांव में बड़ी संख्या में होली खेलने खेलने आते हैं जहां प्रदेश से भी आए लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है। फाग के बीच ठंडाई, भांग के साथ नन्हे-मुन्ने बच्चों के बीच शिष्टाचार के रूप में गर्री, टॉफी, कंपट भी दिया जाता है। मुकेश सिंह ने बताया कि पड़री गांव में होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर प्रदेश में रोजी रोटी कमा रहे लोग भी त्यौहार मनाने के लिए अपने घर आ जाते हैं। इस मौके पर होलिका दहन के लिए भी विशेष व्यवस्था की जाती है और निश्चित जगह पर होलिका दहन किया जाता है।
 

पीस कमेटी की बैठक आयोजित कर की जा रही शांति की अपील

बाजार में देसी पिचकारियों के साथ चाइनीज बाजार ने एक बार फिर अपना वर्चस्व बना रखा है। चाइनीस पिचकारियां देखने में तो आकर्षण होती हैं लेकिन वह यूज एंड थ्रो वाली भी होती है। इन पिचकारियों से अगर आप एक होली भी खेलने तो बहुत बड़ी बात। वही देशी पिचकारियां आपको टिकाऊ दती हैं। जिला प्रशासन होली के अवसर पर किसी प्रकार की अराजकता व कानून व्यवस्था के साथ खेलने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही लगभग सभी थाना में पीस कमेटी की बैठक आयोजित की जा रही है। जिसमें इस दिशा में निर्देश दिए जा रहे हैं।

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