मासूम बच्ची ने अपने आस-पास दृष्टिबाधित व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं को देख विचार किया कि काश ऐसी कोई छड़ी हो, जिसमें किसी प्रकार का संकेतक लगा हो और जब दृष्टिबाधित व्यक्ति उस छड़ी को लेकर आगे बढ़े तो उसके सामने कोई व्यक्ति, दीवार या वस्तु आने पर छड़ी से विशेष प्रकार की ध्वनि निकले और दृष्टि बाधित व्यक्ति को संकेत मिले। जिससे वह व्यक्ति खतरे से सजग हो जाएगा और चलने की दिशा बदल देगा। साथ ही दुर्घटना या ठोकर से बच जाएगा। कुछ ऐसे ही संकल्पना और विचार को साकार करने विद्यालय के गुरुजनों व सी.आर.सी. के मार्गदर्शन में एक सांकेतिक छड़ी को बनाने में सफलता मिली।
कक्षा आठवीं की छात्रा के इस अनोखों अविष्कार ने सभी दृष्टिबाधितों के चेहरे में ख़ुशी लाई है। छड़ी के प्रदर्शन के लिए संकुल केंद्र कोरासी का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पिरदा को प्राप्त हुआ है। इंस्पायर अवॉर्ड मानक कार्यक्रम के अंतर्गत बालिका के विचार को साकार करने प्रोत्साहन राशि भी प्राप्त हुआ।
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