इस संबंध में वन मंडल अधिकारी और जिला लघु वन उपज संघ के प्रबंध संचालक मोहित सूद ने प्रेस कांफ्रेस करते हुए कहा कि, शासन की ओर से तय की गई ‘एक जिला – एक उत्पाद’ नीति के तहत उमरिया जिले में पैदा होने वाले महुआ फूल का चयन हुआ है। इसे संग्रहित कर ब्रिटेन कंपनी ओ फारेस्ट को विक्रय किया जाएगा। इसका सीधा फायदा जिले के सैकड़ों संग्राहकों को मिलेगा। ऑर्गेनिक सर्टिफाइड महुआ संग्राहकों से 110 प्रति किलो की दर से क्रय किया जाएगा। विक्रय राशि संग्राहकों के सीधे खाते में आएगी, जिससे संग्राहकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वहीं, वन क्षेत्रों में आगजनी जैसी दूसरी घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। विभागीय स्तर पर संग्राहकों से 100 टन ऑर्गेनिक महुआ की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।
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महुआ संग्राहकों को होगा 3 गुना लाभ
ऑर्गेनिक महुआ संग्रहण के लिए संग्राहकों को ग्रीन नेट मुहैय्या कराई जाएगी, जिसे संग्राहकों को पेड़ के नीचे बांधना होगा, ताकि महुआ नीचे धूल और मिट्टी से बचा रहे। फिर इसे सूखा कर संग्रहण केंद्रों पर लाया जाएगा। इस दौरान विधिवत रूप से इसकी जांच की जाती रहेगी। बताया गया कि, जांच टीम के अप्रूवल के बाद महुए की खरीद और भुगतान की कार्रवाई की जाएगी। ये पूरी प्रक्रिया ओ फारेस्ट की सहयोगी कंपनी मधु वन्या और वन विभाग की संयुक्त देखरेख में की जाएगी। ब्रिटेन कंपनी के करार के बाद संग्राहकों को तीन गुने से अधिक का लाभ होने की संभावना है। आपको बता दें कि, अबतक वन विभाग 35 रुपए प्रति किलो की दर से संग्राहकों से महुआ खरीदी कर रहा है।
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क्वालिटी और रखरखाव को लेकर ट्रेनिंग
प्रदेश के उमरिया जिले में एक जिला एक उत्पाद में महुआ फूल को चुना गया था, जिसके बाद लगातार महुआ से बने खाने के सामान बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। आदिवासी जिला होने के कारण चारों ओर जंगलों से घिरे होने के साथ जिले भर में महुआ के पेड़ बहुतायत संख्या में हैं और आदिवासी और ग्रामीण जन गर्मियों के सीजन में महुआ के फूल को बीन कर उसे सुखाते हुए बाजार में बेचते हैं। यही उनकी एक मात्र आमदनी का जरिया है। उमरिया वन मंडल ने पहल की और महुआ के पेड़ों को चिन्हित कर महुआ बीनने का प्रशिक्षण दिया, जिससे महुआ की क्वालिटी ना खराब हो और महुआ को विदेश भेजा जा सके। क्षेत्र में महुआ 30 से 35 रुपए किलो बिकता है, लेकिन लंदन में इसे 110 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा। इसके लिए हाल ही में 5 गांवों का चयन किया गया है।
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ये है टारगेट
बता दें कि ओ फारेस्ट और वन मंडल के बीच महुआ खरीद के करार से पहले शुक्रवार को कलेक्टर डॉ. केडी त्रिपाठी ने ग्राम मगरघरा में बैठक ली थी। बैठक में बड़ी संख्या में संग्राहक समेत वन अधिकारी और ओ फारेस्ट प्रतिनिधि मौजूद रहे है। उल्लेखनीय है कि, जिले के करकेली, मगरघरा और ग्राम अचला से सटे वन क्षेत्र में 1500 के करीब महुआ पेड़ मौजूद है। विभागीय स्तर पर लक्ष्य के अनुरूप इन्ंही वन क्षेत्रों को महुआ संग्रहण के लिए चिन्हित किया गया। इस इलाके में करीब 500 संग्राहक है, जिन्हें इस करार से सीधा फायदा होगा। साथ ही, उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।