विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं
शीतला सप्तमी को लेकर माता को भोग लगाने के लिए महिलाओं द्वारा एक दिन पूर्व घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। बुधवार को शीतला माता का पूजन कर इन व्यंजनों का भोग माता को लगाकर बच्चों के दीर्घायु होने व परिवार की सुख-शांति की कामना की जाएगी। परिवार के सभी सदस्य ने इसी प्रसाद को ठंडे के रूप में ग्रहण करेंगे। माना जाता है कि ऐसा करने से शीतला देवी खुश होती हैं। इस दिन के बाद से बासी खाना नहीं खाया जाता। यह ऋतु का अंतिम दिन होगा, जब बासी खाना खा सकते हैं। शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी को घरों में चूल्हा भी नहीं जलाया जाएगा।
नहीं होते हैं रोग
शीतला माता को भगवती दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता हैं। चैत्र महीने में जब गर्मी प्रारंभ हो जाती है तो शरीर में अनेक प्रकार के पित्त विकार भी होने लगते हैं। मान्यता है कि शीतला माता का सप्तमी एवं अष्टमी को पूजन करने से ऋतु परिवर्तन के कारण होने वाले रोग जैसे दाहज्वर, पीतज्वर,फोड़े, नेत्र रोग शीतला जनित सारे दोष ठीक हो जाते हैं।
बाबा गुमानदेव का टेसू के फूलों से पूजन, लगाया हर्बल गुलाल
प्राचीन बाबा गुमानदेव हनुमान मंदिर पीपलीनाका रोड पर रंगोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों का उपयोग किया गया। इस अवसर पर बाबा गुमानदेव हनुमानजी महाराज का शृंगार कर टेसू के फूलों से पूजन कर हर्बल गुलाल लगाया गया। बाबा गुमानदेव हनुमान जन कल्याण समिति की ओर से आयोजित रंगोत्सव में सर्वप्रथम बाबा गुमानदेव को हर्बल गुलाल एवं टेसू के फूलों से पूजन किया गया। भक्तों द्वारा बाबा को गुलाल लगा कर महाआरती की गई। प्राय: इस तरह के फाग उत्सव श्रीकृष्ण मंदिरों में देखने को मिलते हैं पर यह आयोजन हनुमान मंदिर में होने से अपने आप में ख़ास रहा। इसमें भक्तों ने ढोल पर नृत्य कर एवं महिलाओं ने होली के लोकगीत गाकर आनंद लिया। ठंडाई का प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर श्यामनारायण व्यास, रवींद्र त्रिवेदी, निश्चल यादव, जितेंद्र दवे, शैलेंद्र रावल, पिंकेश देवड़ा, राम शुक्ल, प्रमोद जोशी, राजेश भाटी, जितेंद्र दवे, दिनेश रावल, यश भट्ट, रोहित भट्ट, नीरज पंवार, सचिन देपन, गोपाल दवे, आयुष आचार्य, रवि कालव, शुभम बडोला, विजय मालवीय, मुकेश कड़ेला, हेमंत जोशी, बालकृष्ण भंसाली, कमल मोर्य आदि उपस्थित थे।