विधानसभा-लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यक्रम में लगे थे, आज तक नहीं हटाए
शाजापुर. सड़कों पर यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए पुलिस प्रशासन बैरिकेड्स का उपयोग करता है। चल समारोह, सवारी सहित विभिन्न आयोजनों में भी व्यवस्था संभालने के लिए बैरिकेड्स की जरूरत पड़ती है। ऐसे में शहर में जो बैरिकेड्स रखे हुए हैं, उसमें से कई की हालत खराब हो रही है। कुछ टूट भी रहे हैं, लेकिन लालघाटी पर बापू की कुटिया के पास जंगल में दर्जनों बैरिकेड्स लावारिस हालत में पड़े हुए हैं। इसकी ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के पहले यहां हुई सभाओं के दौरान व्यवस्था बनाने के लिए उक्त बैरिकेड्स को वहां पहुंचाया गया था, लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के बाद से आज तक उन पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
शहर में आए दिन होने वाले आयोजनों जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक सहित विभिन्न संगठनों के कार्यक्रमों में पुलिस व्यवस्था बनाएं रखने के लिए बैरिकेड्स की जरूरत पड़ती है। वहीं यातायात को सुचारू करने, हाइवे पर वाहनों की रफ्तार कम करने, किसी भी तरह के आंदोलन अथवा प्रदर्शन के समय व्यवस्था बनाने के लिए भी बैरिकेड्स की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। शहर में भी जगह-जगह चौराहों पर बैरिकेड्स रखे हुए हैं, लेकिन इनकी संख्या सीमित है। ऐसे में किसी भी आयोजन के लिए जरूरत पडऩे पर शहर में रखे बैरिकेड्स को ले जाया जाता है, जिससे यातायात व्यवस्था में परेशानी होने लगती है। इसके चलते पुलिस विभाग कई बार नए बैरिकेड्स की भी मांग करता है। आए दिन होने वाले आयोजनों के लिए जितने बैरिकेड्स की जरूरत है उससे कई ज्यादा संख्या में बैरिकेड्स बापू की कुटिया के समीप पड़े हुए हैं। इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यदि जल्द ही इन्हें यहां से नहीं हटाया गया तो इनकी स्थिति दिनों-दिन बदतर होती चली जाएगी।
लाखों रुपए है कीमत
वैसे तो एक बैरिकेट्स की जो लागत है उसकी जानकारी स्थानीय अधिकारियों को नहीं है, लेकिन फिर भी करीब 800-1000 रुपए तक इसकी कीमत बताई जा रही है। यदि इस कीमत के हिसाब से ही आकलन किया जाए तो बापू की कुटिया के समीप लाखों रुपए के बैरिकेड्स पड़े हुए हैं। जिनकी निगरानी तक करने वाला कोई भी नहीं है।
बाहर से मंगवाए थे
कुछ माह पहले कार्यक्रम के दौरान बापू की कुटिया पर व्यवस्था जुटाने के लिए सैकड़ों बैरिकेड्स बाहर से मंगवाए गए थे। इसमें सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में उपयोग किए गए बैरिकेड्स के साथ ही जिले के विभिन्न स्थानों से भी बैरिकेड्स लाए गए थे। कार्यक्रम के बाद यहां से सभी सामग्री तो हटा दी गई, लेकिन इन बैरिकेड्स को लावारिस ही छोड़ दिया गया। न तो इन्हें जहां से ये लाए गए थे, वहां भेजा गया और न ही इन्हें सुरक्षित शहर में लाया गया। ऐसे में सुनसान क्षेत्र में पड़े ये बैरिकेड्स खराब होते जा रहे हैं।
&बापू की कुटिया के पास जो बैरिकेड्स पड़े हुए हैं, उन्हें धीरे-धीरे करके शहर में लाया जाएगा। जहां पर जरूरत होगी वहां पर उन्हें लगाया भी जाएगा।
सौरव शर्मा, यातायात प्रभारी-शाजापुर