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Ujjain’s History-क्या आपको पता है ? कब और कैसे हुआ महाकाल मंदिर का निर्माण

देश के 12 ज्योतिर्लिंग में प्रमुख है महाकाल, इतिहास भी उतना ही रोचक महाकाल मंदिर का इतिहास

उज्जैनNov 25, 2019 / 12:09 am

anil mukati

देश के 12 ज्योतिर्लिंग में प्रमुख है महाकाल, इतिहास भी उतना ही रोचक महाकाल मंदिर का इतिहास

उज्जैन. शिव पुराण के अनुसार उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर अतिप्राचीन है। मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पालनहार नंदजी की आठ पीढ़ी पूर्व हुई थी। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में बाबा महाकाल दक्षिणमुखी होकर विराजमान हैं। मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है, इसलिए इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी माना जाता है।
ईसवी पूर्व छठी शताब्दी से धर्म ग्रंथों में उज्जैन के महाकाल मंदिर का उल्लेख मिलता आ रहा है। उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के प्राप्त संदर्भों के अनुसार ईसवी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने पुत्र कुमार संभव को नियुक्त किया था। दसवीं सदी के अंतिम दशकों में संपूर्ण मालवा पर परमार राजाओं का आधिपत्य हो गया। इस काल में रचित काव्य ग्रंथों में महाकाल मंदिर का सुंदर वर्णन आया है। 11वीं सदी के आठवें दशक में गजनी सेनापति द्वारा किए गए आघात के बाद 11वीं सदी के उत्तरार्ध व 12वीं सदी के पूर्वाद्र्ध में उदयादित्य एवं नरवर्मा के शासनकाल में मंदिर का पुनर्निमाण हुआ। 123४-35 में सुल्तान इल्तुमिश ने पुन: आक्रमण कर महाकालेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर दिया किंतु मंदिर का धार्मिक महत्व बना रहा।
ग्रंथों में उल्लेख
14वीं व 15वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्लेख मिलता है। 18वीं सदी के चौथे दशक में मराठा राजाओं का मालवा पर आधिपत्य हो गया। पेशवा बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वस्त सरदार राणौजी शिंदे को सौंपा। राणौजी के दीवान थे सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी। इन्होंने ही 18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। वर्तमान में जो महाकाल मंदिर स्थित है उसका निर्माण राणौजी शिंदे ने ही करवाया है। वर्तमान में महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर के सबसे नीचे के भाग में प्रतिष्ठित है। मध्य के भाग में ओंकारेश्वर का शिवलिंग है तथा सबसे ऊपर वाले भाग पर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलने वाला नागचंद्रेश्वर मंदिर है। महाकाल का यह मंदिर भूमिज, चालुक्य एवं मराठा शैलियों का अद्भूत समन्वय है। मंदिर के 118 शिखर स्वर्ण मंडित हैं, जिससे महाकाल मंदिर का वैभव और अधिक बढ़ गया है।

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