उज्जैन

सोशल मीडिया के जरिए लेता था सुपारी, 16 साल की उम्र में ही बना ली थी गैंग

gangster durlabh kashyap- कम उम्र का यह डॉन किसी भी मामले को निपटाने के लिए सोशल मीडिया पर देता था विज्ञापन…।

उज्जैनMay 17, 2022 / 07:38 pm

Manish Gite

उज्जैन। क्या आपने ऐसे गैंगस्टर के बारे में सुना है जो अपराध करने के लिए विज्ञापन देता था। अगर नहीं सुना है तो आज हम आपको एक ऐसे गैंगस्टर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपराध करने के लिए अपने फेसबुक प्रोफाइल पर विज्ञापन लिखा करता था।

हम बात कर रहे हैं उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की, जो महज 20 साल की उम्र में ही शहर का डॉन बन गया था। लोग उसके नाम पर दहशत में आने लगे थे। उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर लिख रखा था कि ‘किसी भी तरह के विवाद के निपटारे के लिए संपर्क करें।’

 

माथे पर तिलक, आंखों में काजल थी पहचान

दुर्लभ कश्यप एक दुबला-पतला 20 साल का युवक था, जो हमेशा अपने माथे पर तिलक, आंखों में काजल और अपने कंधे पर काले रंग का गमछा रखता था। यही उसकी पहचान बन गया था। कच्ची उम्र में ही दुर्लभ के इरादे जुर्म की दुनिया का बादशाह बनने के थे। उसने 16 साल की उम्र में ही गैंग बना ली थी। उसके रहन-सहन और कपड़े पहनने का अंदाज इस कदर युवाओं में पापुलर हो गया था कि कई लोग उसके इस अंदाज को फालो करने लगे थे। उसे बिल्लियों से बहुत प्यार था। वो अपने साथ कई बार बिल्ली भी रखता था।

 

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पिता कारोबारी, बेटा गैंगस्टर

दुर्लभ जीवाजीगंज निवासी मनोज कश्यप का पुत्र था। दुर्लभ की माता उज्जैन के क्षीरसागर क्षेत्र में पूर्व स्कूल टीचर रह चुकी हैं। उसका जन्म उज्जैन में साल 2000 में हुआ था। पेशे से कारोबारी उसके पिता की अपने बेटे से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन बेटे ने नाम तो खूब कमाया, मगर जुर्म की दुनिया में। युवाओं में दुर्लभ खासा प्रचलित था। वह अपने गैंग में कम उम्र के लड़कों को अक्सर शामिल किया करता था।

 

खुद को बताता था कुख्यात

दुर्लभ सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहता था। वो अपने और अपनी गैंग को प्रमोट करने के लिए फेसबुक का सहारा लेता था। दुर्लभ ने अपने एक सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपने आप को कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था। जुर्म करने के लिए अपने पेज पर विज्ञापन भी लिखता था। इसके अलावा सोशल मीडिया पर ही लोगों को धमकियां भी देता था।

 

ऐसे बनाता था गैंग

युवा उससे प्रभावित हो जाया करते थे और उसकी गैंग ज्वाइन कर लेते थे। दुर्लभ ने 100 से अधिक युवाओं को अपनी गैंग में शामिल कर लिया था। इनसे वो रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूटपाट जैसे अपराध करवाता था। जब सोशल मीडिया पर उसने अपने इन्हीं कामों के लिए सुपारी लेने का विज्ञापन जारी किया, जिसकी खबर पुलिस तक पहुंच गई। इसे देख तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर ने 2018 में दुर्लभ कश्यप की गैंग का पर्दाफाश कर दिया और दो दर्जन से अधिक लड़कों को गिरफ्तार कर लिया। मगर कोविड वेव के दौरान साल 2020 में बाकी कैदियों की तरह उसे भी जेल से रिहा कर दिया गया।


गैंगवार में ऐसे हुई मौत

कहते है बुरे कर्मों का परिणाम भी बुरा ही होता है। 6 दिसंबर 2020 को एक चाय की एक दुकान पर उसका दूसरी गैंग से विवाद हो गया था। गोली बंदुकों और चाकुओं की झड़ी लग गई। इस गैंगवार में दुर्लभ मारा गया। शहर के ही कुख्यात शाहनवाज और शादाब ने उस पर 25 से ज्यादा चाकुओं से वार किए थे। इसके बाद दुर्लभ की मौत हो गई थी। बताते हैं कि उसके नाम से आज भी कुछ गैंग सक्रिय है।

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