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सोने का वर्क पी रहा ढाई टन वजनी पारद शिवलिंग, रोज होती है स्वर्ण आरती

अद्भुत- देश-विदेश के भक्तों का लगा रहता है जमावड़ा, पारद शिवलिंग की विदेशी भक्त करते हैं पूजा।

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देश-विदेश के भक्तों का लगा रहता है जमावड़ा

उज्जैन. एमपी के उज्जैन मेें शिप्रा किनारे नृसिंह घाट पर बना विश्व का एकमात्र पारदेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में अनूठा है। हरसिद्धि मंदिर के समीप बने इस मंदिर में ढाई टन वजनी पारद शिवलिंग स्थापित है. माना जाता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मन को स्थिरता व शांति प्राप्त होती है। देश-विदेश के भक्तों का यहां हरदम जमावड़ा रहता है। शिवरात्रि पर इनकी पूजा का विशेष महत्व है। खास बात यह है कि यह शिवलिंग रोज सोने का वर्क पी रहा है.

सिद्धाश्रम के ढाई टन यानि 25 क्विंटल वजनी पारद शिवलिंग की स्थापना 2004 में हुई थी। इसे चीन से यहां लाया गया था। प्रतिदिन सुबह 9 बजे सार्वजनिक स्वर्ण आरती होती है। सिद्धाश्रम के प्रमुख स्वामी डॉ. नारदानंद महाराज ने बताया शिवलिंग पर सोने का वर्क रखा जाता है, जो आरती के दौरान देखते ही देखते गायब हो जाता है। यानी यह शिवलिंग सोने के वर्क को पी जाता है। यह सिलसिला सालों साल चलता रहेगा, एक दिन ऐसा आएगा जब यह स्वर्ण पान करना बंद कर देगा। उस दिन यह शिवलिंग पारस का बन जाएगा, यानी पूरा स्वर्णिम हो जाएगा।

पारे को अभिमंत्रित कर बना है यह शिवलिंग
सिद्धाश्रम के स्वामी प्रणवानंद के अनुसार पारे को अभिमंत्रित कर यह शिवलिंग बनाया गया है। पारे के शिवलिंग पर जब सोना रखा जाता है, तो वह उसे पी जाता है। यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है। पारे में जब तय मात्रा में सोना इकट्टठा हो जाता है, तो वह सोना पीना बंद कर देता है और पारस बन जाता है, जिसे लोहे से रगड़ने पर लोहा सोना बन जाता है।

आश्रम में मेडिटेशन हॉल
मन की शांति के लिए आश्रम में ओंकारनाद का विशाल आकार वाला मेडिटेशन हॉल बना हुआ है। महाराजजी का कहना है कि पारद शिवलिंग के दर्शन बाद इस हॉल में बैठकर ध्यान और ओमकार नाद करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। आश्रम में अक्सर विदेशी भक्तों का आना लगा रहता है। अमरीका, ब्राजील, बाली, वेनेजुएला सहित अन्य कई देशों के लोग यहां आते हैं और पूण्र श्रद्धा के साथ भक्ति में लीन होते हैं।