इस दिन चांदनी रात में खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में विशेष ऊर्जा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।
महाकाल की आरती का समय बदलेगा
उज्जैन महाकाल मंदिर में 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा परम्परानुसार नैवेद्य कक्ष में स्थापित भगवान को परंपरा अनुसार मेवा युक्त मीठे दूध (खीर) का भोग लगाया जाकर प्रसाद का वितरण किया जाता है। उक्त प्रसाद वितरण संध्या आरती के बाद किया जाएगा। साथ ही इस दिन से मंदिर में होने वाली तीन प्रमुख आरती का समय परम्परानुसार परिवर्तित होगा। इसमें प्रात: होने वाली द्दयोदक आरती 7.30 से 8.15 तक, भोग आरती प्रात: 10.30 से 11.15 तक व संध्या आरती सायं 6.30 से 7.15 बजे तक होगी। भस्म आरती प्रात: 4 से 6 बजे तक, सायंकालीन पूजन सायं 5 से 5.45 तक एवं शयन आरती रात्रि 10.30 से 11 बजे तक अपने निर्धारित समय पर ही होगी।