खगोल विज्ञान की गणनानुसार मिले-जुले परिणामों से पृथ्वी आच्छादित रह सकती है। इधर ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि खगोल विज्ञान या एस्ट्रानोमिकल साइंस की गणना से देखें तो आकाशगंगा में असंख्य तारे तथा नक्षत्रों का समूह है। यदि ग्रहों की हम बात करें तो भारतीय ज्योतिष शास्त्र और एस्ट्रानोमिकल साइंस में 7 ग्रह विशेष बताए हैं। बाकी के राहु और केतु को नॉर्थ तथा साउथ पोल की गणना दी गई है। वर्तमान में खगोलीय घटना सामने दिखाई दे रही है, जिसमें 7 ग्रहों का एक सीध में दिखाई देना तथा कुछ अलग ही प्रकार की आभा का अनुभव होना। यह दृश्य 26 फरवरी तक विशेष रहेगा। उसके बाद में स्थिति में परिवर्तन होगा।
खगोलप्रेमियों के लिए सौगात
खगोल विज्ञान और आकाशीय घटनाक्रम में रुचि रखने वालों के लिए यह सप्ताह रोमांचकारी रहेगा। गुरु और शुक्र एक दूसरे के नजदीक दिख रहे हैं और इनके मिलन का साक्षी चंद्रमा बन रहा है यानी गुरु-शुक्र-चंद्रमा एक साथ आकाश में नजर आ रहे हैं। इसकी शुरुआत बुधवार से हुई और गुरुवार को भी यह नजारा लोग आकाश में एकटक निहारते रहे।
बहुत कम बनते हैं इस प्रकार के संयोग
खगोल विज्ञान में जोडियक क्लासिफिकेशन का प्रभाव अलग प्रकार का होता है। इसमें ग्रहों का क्लास और उनके जोडिएक साइन का अलग ही इंपैक्ट दिखा देता है। राशि विशेष में ग्रहों के परिभ्रमण का अन्य अन्य राशियों के साथ सीध बंद होना खगोलीय घटना का अनुक्रम होता है। अंतरिक्ष में इस प्रकार की कई और घटनाएं घटती हैं, किंतु जब पृथ्वी से इसको देखा जाने का प्रयास होता है तो यह अलग ही आकार में दिखाई देते हैं। इस बार का जो प्रभाव है, तकरीबन तीन शताब्दियों की गणना के बाद ऐसी स्थिति परस्पर बन पाती है।
2 दिन से परिभ्रमण
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त का कहना है, खगोल विज्ञान की दुनिया अलग है। यहां पर अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग घटनाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं। वहीं यदि 7 ग्रह की एक सीध वाली बात करें तो यह स्थिति 2 दिन से रात्रि में दिखाई दे रही है। हालांकि यह दृश्य देखने के लिए विशेष यंत्र की आवश्यकता है। यह स्थिति संभवत: 26 की रात्रि में भी दिखाई दे सकती है, अंशकालिक अंतर का प्रभाव होगा।