वहीं गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। रिपोर्ट को अतिरिक्त महाधिवक्ता भारत सरकार की ओर से प्रस्तुत की गई है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में महाकालेश्वर मंदिर को लेकर सारिका गुरु ने जनहित याचिका लगाई है। इसमें उन्होंने शिवलिंग क्षरण का मुद्दा उठाया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाल ही में पुरातत्व विभाग की टीम ने शिवलिंग का परीक्षण भी किया था।
दो हिस्सों में रिपोर्ट- महाकाल मंदिर को लेकर दो हिस्सों में रिपोर्ट दी है। इसमें एक में पुरातात्विक एवं धार्मिक दृष्टि से मंदिर की आवश्यकता एवं रखरखाव की जानकारी है। दूसरे में मंदिर में क्षरण पर अधिकतम जानकारी के आधार पर किया निरीक्षण की रिपोर्ट है।
यह दिए सुझाव
१. शिवलिंग पर दर्शनर्थियों की ओर से चढ़ाए जाने वाले जल/ गंगा जल पर प्रतिबंध लगाए जाए। सिर्फ न्यनूतम मात्रा में जल चढ़ाया जाए।
२. दूध और दूध से बने पदार्थ, घी, गुड़, शहद पर प्रतिबंध लगाया जाए। सिर्फ दिन की शुरुआत एवं धार्मिक आवश्यकतानुसार इसका उपयोग किया जाए।
३. शिवलिंग पर शकर, गुड़ व अन्य पावडर का लेप या मलना प्रतिबंधित हो।
४. शिवलिंग पर फूल, बिल्व पत्र एवं फूल मालाओं को सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से चढ़ाया जाए। क्योंकि फूल गीले होते हैं इससे शिवलिंग पर भार पड़ता है वहीं प्राकृतिक रूप से सांस लेने में दिक्कत आती है।
५. गर्भगृह में दर्शनार्थियों को प्रवेश बंद हो। सीमित संख्या में कुछ समय के लिए प्रवेश दिया जाए।
६. कोशिश हो कि गर्भगृह सूखा और स्वच्छ रखा जाए।
७. मंदिर में धातु के पात्र की जगह लकड़ी से बनाए सामान उपयोग में किया जाए।
८. मंदिर मेें फ्लोरिंग, सिलिंग या ज्वाइंटस में खराबी आए तो वॉटर प्रोटेक्शन के माध्यम से मरम्मत की जाए।
९. गर्भगृह में हवा के आवागमन की व्यवस्था बेहतर हो।
१०. मंदिर व गर्भगृह से डिस्पोजल तुरंत हटाने की व्यवस्था हो।
११. मंदिर प्राचीन है यहां निर्माण कार्य में आधुनिक मार्डन सामग्री का उपयोग नहीं किया जाए।
१२. पौराणिक चीजों का संरक्षण केमिकल ट्रीटमेंट कर सकते हैं। शिवलिंग धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां लोगों को केमिकल ट्रीटमेंट स्वीकार नहीं होगा। दूसरे रास्तों से इसका संरक्षण किया जा सकता है।
१३. मंदिर में सभी पत्थर प्राचीन, धामिक व पौराणिक महत्व के है, इनकी पहचान कर सुरक्षित किया जाए।