उज्जैन. भगवान महाकालेश्वर मंदिर में चल रही खुदाई के दौरान देवी की प्राचीन प्रतिमा मिलने की खबर के बाद जब जांच हुई तो उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का दावा है कि यह प्रतिमा दो हजार से भी अधिक साल पुरानी लगती है। खुदाई में अति प्राचीन मंदिर के अवशेष नजर आते हैं। पत्रिका की खबर के बाद यहां जांच हुई, जिसमें कई तथ्य सामने आ रहे हैं।
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पत्रिका ने इस विषय में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की। इसकी पड़ताल के लिए बुधवार को भोपाल से मप्र पुरातत्व विभाग के तीन सदस्यीय टीम उज्जैन आई और कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतिमा करीब दो हजार वर्ष प्राचीन लग रही है। महाकाल मंदिर के सामने वाले हिस्से में खुदाई के दौरान सोमवार को मिली प्राचीन मूर्ति के अवशेषों को जांचने मप्र पुरातत्व विभाग भोपाल से एक दल उज्जैन आया है।
इससे पहले जब यह प्रतिमा खुदाई में नजर आई थी तो पहले तो ठेकेदार, इंजीनियर ने इसे खंडित मान कर मिट्टी में दबा दिया था। बाद में पत्रिका ने इस मामले को उजागर किया तो जांच में यह खुलासा हुआ।
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दल सदस्यों का कहना है कि यह लगभग दो हजार साल पुरानी हो सकती है। यहां और भी अवशेष निकल सकते हैं। कहीं-कहीं मटकियों के अवशेष भी मिल रहे हैं, जिससे यह लग रहा है कि दो हजार वर्ष पूर्व भी महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों के आने-जाने का क्रम था। उस समय की सभ्यता दिख रही है।
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उज्जैन के पुरातत्वविद् डॉ. रमण सिंह सोलंकी का कहना है कि शासन द्वारा इसकी जांच की जा रही है। भोपाल से रमेश यादव व उनकी टीम यहां आई है। पुरातत्वविद् डॉ. वाकणकर ने 1962 में उन्होंने चौबीस खंभा माता मंदिर के यहां खुदाई की थी, तब उन्होंने पाया कि यहां 2600 वर्ष पुरानी सभ्यता रही होगी।
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