उज्जैन. विक्रम नगर रेलवे स्टेशन के ट्रेक पर प्रोफेसर दंपति के इंजीनियर बेटे ने ट्रेन के आगे कुदकर आत्महत्या कर ली। घटना सुबह करीब छह बजे की है। मोबाइव व पर्स नहीं होने के चलते युवक की शिनाख्त 10 घंटे बाद शाम छह बजे हो पाई। जानकारी के मुताबिक विक्रम विश्वविद्यालय कैंपस में रहने वाले राहुल गुप्ता सुबह घर से निकला और सीधे विक्रम नगर रेलवे स्टेशन पहुंच गया। यहां करीब 6 बजे निकलने वाली इंटरसिटी के आगे कुदकर जान दे दी। बताया जा रहा है कि युवक ने मणिपाल यूनिवॢसटी से इंजीनियरिंग कर रखी है और लंबे समय से इंदौर में कोङ्क्षचग कर कैट की तैयारी कर रहा था। बेहतर जॉब ऑफर नहीं होने के चलते वह मानसिक तनाव में था, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली। राहुल के पिता दीपक गुप्ता जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में प्रोफेसर व माता दीपिका गुप्ता स्कूल ऑफ स्टडीज इन पॉलिटीकल साइंस में प्रोफेसर है। बेटे की मौत की खबर सुन माता पिता बेसुध हो गए। शाम को विवि के स्टॉफ सहित अन्य रिश्तेदार भी पहुंचे। देर शाम शव विवि कैंप स्थित गुप्ता दंपती के निवास पर पहुंचा, जिसके बाद से घर पर मातम सा माहौल है। – मलहम पट्टी कर जिला अस्पताल भेजा प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक घटना सुबह 6 बजे के आसपास की है। एक युवक काफी देर से पटरी पर लैटा हुआ था। इंटरसिटी आई तो उसने दौड़ लगाई लेकिन इतने में वह ट्रेन की चपेट में आ गया। दीपक के सिर में गंभीर चोट आई, जिसे जीआरपी व लोगों ने स्टेशन पहुंचाया। वहां मलहम पट्टी कर जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। – जॉब नहीं लगने से था तनाव में गुप्ता परिवार से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि राहुल ने इंजीनियरिंग तो कर ली थी लेकिन जॉब नहीं मिल रही थी। वह इंदौर में रहकर प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहा था। लेकिन वह अभी तक असफल ही रहा। ऐसे में वह तनाव में था। कुछ समय से वह उज्जैन में ही ज्यादा समय बिताता था। – एक फोन ने छीन लिया सबकुछ दिनभर गुप्ता दंपति कॉलेज में अपने काम में व्यस्त थे। बेटा भी अक्सर इंदौर चला जाता था। ऐसे में गुप्ता दंपति भी ज्यादा ङ्क्षचतित नहीं थे। लेकिन शाम को आए पुलिस के एक फोन ने सबकुछ छीन लिया। पुलिस ने बताया कि एक युवक का शव मिला है। आप आकर उसे देख सकते हैं। पिता तुरंत अस्पताल पहुंचे तो वह अपने बेटे की हालत देख बिलख-बिलख कर रो पड़े। – जेब में मिली यूनिवर्सिटी की रसिद युवक की शिनाख्त में पुलिस को काफी दिक्कत हुई। उसके पास न तो मोबाइल था और न ही पर्स। उसके जेब में मात्र एक रसिद मिली, जो मणिपाल यूनिवर्सिटी की थी। पुलिस ने यूनिवर्सिटी संपर्क किया तो वहां से उसके पिता की जानकारी मिली। तब जाकर उसके परिजनों से संपर्क हो पाया। पुलिस को उसके परिजनों तक पहुंचने में ही 10 घंटे से ज्यादा का समय लग गया।