बाबा महाकाल का प्रसाद शुद्ध देसी घी, बेसन, रवा और ड्रायफ्रूट से बनाया जाता है। पिछले दिनों लड्डू सामग्री के दामों में बेतहासा वृद्धि हुई है। इसलिए मंदिर समिति अगली बैठक में लड्डू की रेट रिवाइज कर सकती है। फिलहाल मंदिर में एक किलो लड्डू बनाने के लिए 305 रुपए खर्च हो रहे हैं, जबकि उसे भक्तों को किलों के लिए केवल 260 रुपए देने पड़ते हैं।
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हालांकि बाबा के महाप्रसाद को महंगा करने को लेकर भक्तों ने कहा कि महाकाल मंदिर कोई निजी संस्था नहीं है जो फायदे के लिए काम करे। अगर बाबा महाकाल को भक्तों जीभर के दान अर्पित कर रहे हैं तो लड्डू प्रसाद की कीमत नहीं देखी जानी चाहिए। मंदिर प्रबंधन केवल लड्डू के लिए दिए गए रुपए तो गिन रहा है पर भक्तों द्वारा दिए गए पूरे दान को देखे तो लाभ-हानि के गणित को समझा आ जाएगा। बाबा महाकाल का मंदिर समिति को लाभ के लिए नहीं भक्तों की सुविधा पर ध्यान देना चाहिए।
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मंदिर समिति के अनुसार जून के अंतिम दिनों से लेकर अक्टूबर मध्य तक करीब 23 करोड़ 3 लाख 54 हाजार 538 रुपए दान के रूप में आए हैं। मंदिर समिति का तर्क है कि 110 दिनों में भक्तों ने 8 करोड़ 25 लाख रुपए के लड्डू खरीदे। लागत बढ़ने के चलते मंदिर को सीधे तौर पर 1.27 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश धाकड ने बताया कि, कोविड काल के पश्चात रूपये 5.37 करोड की अनुमानित बचत हुई है। श्री महाकालेश्वर मंदिर की सभी व्यवस्थायें दान के माध्यम से ही संचालित होती हैं।