यूं शुरू की ठग ने बातचीत
ठग: मैं भोपाल से महिला बाल विकास से दीपक सर बोल रहा हूं। आप आप गर्भवती हैं न? गर्भवती: हां। ठग: आपके खाते में 6,500 रुपए डालेंगे। गर्भवती: ठीक है। ठग: आप फोन-पे चलाते हो या गूगल-पे? गर्भवती: फोन—पे। ठग: फोन-पे का बैलेंस चेक करो। (महिला ने ठगी की खबर पत्रिका में पढ़ी थी। आशंका हुई, फोन काटा।)
कुछ देर बाद ठग ने फिर फोन किया। ठग: आपके खाते में पैसे कितने आए, फोन—पे में ही चेक करो। गर्भवती: मैंने कहीं प्रेग्नेंसी के दस्तावेज नहीं दिए। आपको कैसे पता चला? पैसे डालना है तो मेरे नंबर पर डाल दो। (ठग ने फोन काट दिया। )
गर्भवती ने पत्रिका को जताया आभार
गर्भवती बोली… ‘पत्रिका’ की नियमित पाठक हूं। रक्षा कवच के तहत प्रकाशित खबरें पढ़ रही हूं। इससे शक हुआ और ठग को साफ शब्दों में करारा जवाब दिया। ‘पत्रिका’ का आभार जताते हुए बोली, मैंने पत्रिका की खबरें न पढ़ी होती, तो ठगी जाती।अपराध पर एफआइआर दर्ज होनी चाहिए
अपराध पर एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। पुलिस केस दर्ज कर अपराध की जड़ तक पहुंचे। अपराधी पर कार्रवाइ होगी तो न्याय मिलेगा। शिकायत दर्ज करना खानापूर्ति है। – बी.एस. चौहान, अधिवक्ता5 लाख की ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए हर थाने में कीजिए शिकायत, पूरी खबर पढ़ने यहां करें क्लिक
पत्रिका सरोकार- 37 थानों में साइबर हेल्प डेस्क शुरू, 400 पुलिस कर्मचारी संभालेंगे कमान ये भी पढ़ें: महंगी हुई पार्किंग अब चुकाने होंगे 30 रुपए