अनूठे अंदाज में पढ़ाया जागरुकता का पाठ
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ कवि अनुज पांचाल की रचना ‘आजकल सोशल मीडिया का पड़ने लगा है बड़ा ही प्रभाव’ से हुई, जिसने सभी उपिस्थतों को जोरदार ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद कवि सुरेंद्र सर्किट ने अपनी कविता के जरिए सायबर फ्रॉड की गंभीरता को अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया। कवि दिनेश दयावान ने ऑनलाइन शोषण पर पत्रिका द्वारा की जा रही पहल को लेकर अपनी प्रभावशाली बात कही। साथ ही पत्रिका के रक्षा कवच अभियान को खूब सराहा। कार्यक्रम के अंत में अंतरराष्ट्रीय कवि दिनेश दिग्गज ने ‘ भाई साब एक बात बताओ…साइबर फ्रॉड का फोन आए तो क्या करें समझाओ, हास्य और व्यंग्यात्मक रूप से अपनी रचना प्रस्तुत की। पत्रिका द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करना और गंभीर मुद्दों पर हास्य के माध्यम से संवाद स्थापित करना था।
कवियों ने अनूठे अंदाज में सुनाई कविताएं
‘भाई साब एक बात बताओ…’
सायबर फ्राड का फोन आये तो क्या करें समझाओ, मैंने कहा ऐसा कोई फोन आए तो न कोई बटन दबाना और न ही एसएमएस बॉक्स छूना। नहीं तो लग जाएगा तुम्हें चूना। वो लुटेरा मांगेगा ओटीपी, तो मुस्कराके कहना चाय पी। वो कहेगा मजाक मत करिए भाई जान तो बोलना, इसकी शुरुआत तो आपने ही की है श्रीमान।
वो ठग स्टाइल से पूछेगा एड्रेस तो, बिल्कुल मत खाना तेश, बोल देना भाई अभी तो मुझे ही पते का पता चला है, क्योंकि कॉलोनी नई-नई है नंबर नहीं डला है। वो धमकाएगा बोलेगा, पार्सल में पासपोर्ट है, लेपटॉप है, डॉलर है और है नशीली दवाई… कहना देख मेरे भाई! पासपोर्ट तो ठीक, हम पासपोर्ट साइज के फोटो भी नहीं खिंचाते हैं, यार डॉलर तो बड़ी चीज है, हमारे हाथ तो 500 के नोट भी कभी कभी आते हैं।
पत्रिका ने सबको जगा दिया है, तो क्या बचा तेरी कहानी में
रही बात लेपटॉप की तो वो घर में ही पड़ा है, संकट ड्रग्स का नहीं मां की दवाई का बड़ा है। यार, साइबर लुटेरे क्या तुम्हारे मां बाप ने इसी दिन के लिए पाला…। भाई मेहनत से नहीं कमा सकते एक निवाला। चल भाई डिजिटल अरेस्ट की भेंस तो गई पानी में, पत्रिका ने सबको जगा दिया है, तो क्या बचा तेरी कहानी में । तो डरने का नहीं, बिना बात के बिखरने का नहीं। क्योंकि जो सही है, उसका कभी कोई टेस्ट नहीं होता है, और जो रहता है जागरूक वो डिजिटल अरेस्ट नहीं होता है। देख मैं तो कवि हूं, तेरे इस धमकी वाले फ़ोन ने मेरी तो कविता हास्य से सजा दी। और इधर तुझसे बात करते करते मैंने 1930 पर काल लगा दी। तो अब तू जान और तेरा काम जाने, पुलिस पहुंचती होगी। तो आ जायेगी तेरी अक्ल ठिकाने,,,
-दिनेश दिग्गज, अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि, उज्जैन
घर बैठे लाखों कमाएं, ऐसे किसी झांसे में ना आए
घर बैठे बैठे लाखों कमाएं, ऐसे किसी झांसे में न आएं। घर बैठे कोई नहीं कमाता है, बल्कि जो जमा वो भी गंवाता है। लाख बार समझाया है पासवर्ड नहीं बताना है, अगर पास दे दिया है तो घर में चोर बुलाना है। OTP किसी ने आपको दिया है, आप अन्य किसी को क्यों दे रहे हैं। कभी भी लालच में न आएं।
कोई नींबू ले के नहीं देता है कद्दू, कई होशियार भी इसी चक्कर में बन जाते हैं बुद्धू। अपनी मेहनत और भाग्य पर भरोसा रखें। नसीब में होगा तो गड़ा हुआ धन मिल जाएगा।
मूर्खता की, तो जोड़ा हुआ भी चला जाएगा। धमकियों से किसी की डरना मत, सत्यता जाने बिना कुछ करना मत। पुलिस अपना काम अपनी गति से करेगी। आपकी लापरवाही आपकी दुर्गति करेगी।
इस तरह के जालसाजों को सख्त सजा होनी चाहिए, सरकार पर जनता की विश्वसनीयता होनी चाहिए। धूर्तो पे शिकंजा कसेगा ये पूरा यकीन है, क्योंकि मोदी है तो सब मुमकिन है। – सुरेंद्र सर्किट, हास्य कवि
काम-धाम नहीं कुछ तो रील ही बनाओ
आजकल सोशल मीडिया का पड़ने लगा लगा है बड़ा ही प्रभाव ,काम धाम तो कुछ है नहीं, बस मोबाइल पर कुछ नहीं तो रील ही बनाओ। फेसबुक इंस्टा पर लड़कों से ज्यादा तो लड़कियां कमाल कर रही हैं,
अरे खुद की अध नंगी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर देखो तो धमाल कर रही हैं।
समझ ही नहीं आ रहा आज की पीढ़ी किस दिशा में जा रही है,
ये रील बनाओ पद्धति हमारी आंखों के सामने ही संस्कार और संस्कृति को खा रही है। ये भी पढ़ें: Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ऑनलाइन लगी कोर्ट, बुजुर्ग महिला को सुनाई 5 साल की सजा!
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