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अब खुली बस में लीजिए शहर का नजारा, विदेशों की तर्ज पर चलेंगी टूरिस्ट बसें

प्रबंध समिति की बैठक में लिया निर्णय : नीचे पूरी बस एसी, तो ऊपर खुला एरिया रहेगा

उज्जैनDec 06, 2022 / 11:00 am

Manish Gite

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उज्जैन। महाकाल की नगरी में आने वाले पर्यटक अब खुली बस के सफर का आनंद ले सकेंगे। ब्रिटेन की तर्ज पर यहां भी खुली बसें चलाई जाएंगी। इससे पहले ऐसी पर्यटन बसें कर्नाटक के मैसूर, मुंबई समेत कुछ विशेष पर्यटन स्थलों पर ही चलती हैं।

नया साल की भीड़ को कंट्रोल करने और लड्डू प्रसाद के भाव बढ़ाने और मोबाइल पर प्रतिबंध और लग्जरी बसों के जरिए उज्जैन दर्शन को लेकर सोमवार को चर्चा हुई। महाकाल मंदिर के सभागृह में प्रबंध समिति की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए।

 

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बैठक में निर्णय लिया गया कि ब्रिटेन की तर्ज पर यहां भी बसों को चलाया जाए। ये बसें डबल स्टोरी वाली होंगी, नीचे का हिस्सा एसी कोच तथा ऊपर छत का एरिया खुला रहेगा, सीटों पर बैठकर लोग शहर घूमने का आनंद ले सकेंगे।

प्रबंध समिति की बैठक में सबसे अहम जो निर्णय हुआ, वह यह है कि 20 दिसंबर से महाकाल मंदिर में मोबाइल पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इसमें जुर्माना भी लगाया जाएगा। नियम सभी पर लागू होगा। मंदिर की तरफ से अधिकारिक फोटोग्राफर रहेगा। वहीं वीवीआइपी, पुजारी-पुरोहित भी मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे। साथ ही मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादी के दामों में 60 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि प्रसाद की वर्तमान में जो लागत आती है, वह 374 रुपए प्रतिकिलो आती है। आज की बैठक में 360 रुपए प्रतिकिलो कीमत तय की गई है।

मंदिर समिति को इसमें 14 रुपए का घाटा रहेगा, लेकिन फिर भी 360 रुपए करने का निर्णय समिति की बैठक में लिया है। अगले दो-तीन दिनों में बढ़ी हुई कीमतें लागू होंगी। अभी लड्डू प्रसाद 300 रुपए कीमत थी, जो लागत है, उससे 14 रुपए कम में प्रसाद दिया जाएगा। जो दान दाता हैं, उसी दान से इसकी प्रतिपूर्ति की जाती है। यही वजह है कि दान के रुपए से इसकी पूर्ति हमेशा से होती रही है, फिर भी हमें 14 रुपए का घाटा होगा।

 

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लग्जरी ओपन बस से श्रद्धालु करेंगे उज्जैन दर्शन

बाबा महाकाल का दर्शन के लिए देशभर से दर्शनार्थी उज्जैन आते हैं। श्रीमहाकाल लोक के बाद यह आंकड़ा बढ़ा है। उज्जैन दर्शन बस को लग्जरी और अत्याधुनिक बनाकर चलाया जाएगा। इस बस में नीचे वाला हिस्सा एसी तथा ऊपर खुला रहेगा, जहां कुर्सियां लगी होंगी। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति की ओर से कोई खर्च नहीं किया जाएगा। टेंडर निकाले जाएंगे। किराया फिक्स करेंगे, ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

 

कुछ समय के लिए बंद करना पड़ेगा अन्न क्षेत्र

मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में कलेक्टर ने निर्णय लिया है कि अभी वर्तमान में जहां अन्न क्षेत्र संचालित होता है, उस स्थान को दूसरे फेज के कारण तोड़ा जाएगा। ऐसे में अन्न क्षेत्र को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ेगा। एक नया अन्न क्षेत्र बन भी रहा है, जहां 2 हजार लोग एकसाथ बैठकर भोजन कर सकेंगे, वह तैयार हो रहा है। मार्च तक उसकी डेडलाइन है। समिति द्वारा कोशिश यह रहेगी कि सीमित संख्या में टोकन से आने वाले श्रद्धालुओं को कहीं व्यवस्थित जगह पर भोजन प्रसादी खिलाई जाए, इसके लिए स्थान तलाशा जा रहा है।

 

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विश्राम धाम में जमा होंगे भस्म आरती वालों के मोबाइल फोन

महाकाल मंदिर में 20 दिसंबर से मोबाइल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इसमें आने वाली चुनौतियों को देखते हुए भस्म आरती की परमिशन, प्रोटोकॉल नंबर, अभिषेक और अन्य कई जानकारी के आदान-प्रदान का एकमात्र जरिया मोबाइल भस्म आरती के दौरान विश्राम धाम में ह जमा करा लिए जाएंगे। फिलहाल अभी 15 दिन ट्रायल पर रखेंगे, फिर नियम लागू कर दिए जाएंगे।

 

कलेक्टर सिंह ने बताया कि मोबाइल को प्रतिबंध करने के बाद कई तरह की चुनौतियां भी सामने आएंगी, जैसे भस्म आरती की ऑनलाइन परमिशन, 250 रुपए और 1500 की रसीदों को ऑनलाइन करने के बाद मोबाइल अनिवार्य हो गया है, ऐसे में यदि प्रतिबंध लगाया जाएगा, तो कई तरह की चुनौतियां आएंगी, इसीलिए 15 दिन का समय लेकर इसे पहले ट्रायल पर रखेंगे। इसके बाद पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा।

 

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250 रुपए की रसीद और धर्मशाला होगी ऑनलाइन

महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए शीघ्र दर्शन रसीद जो कि 250 की है, उसे भी ऑनलाइन करने पर विचार किया गया है। साथ ही मंदिर की धर्मशाला को भी ऑनलाइन किया जाएगा, ताकि बाहर से आने वाले यहां आने से पहले ही ठहरने की जानकारी ले सकें।

 

गर्भगृह में जाने पर भी लागू होता है ड्रेसकोड

कलेक्टर सिंह ने परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि गर्भगृह में प्रवेश बंद और खुला होने के दौरान भी अलग-अलग ड्रेसकोड लागू हैं। धोती-सोला पहनना पहले से ही अनिवार्य है, वहीं सामान्य दर्शन होने पर लोग पेंट-शर्ट पहनकर अंदर जाते हैं। इस पर एक बार पुजारी-पुरोहितों से बैठकर चर्चा करेंगे।

 

ड्रेसकोड को लेकर नियम लागू होगा

मंदिर के सभी कर्मचारी ड्रेसकोड का पालन करेंगे। इन पर स्टीकर या अलग से पहचान चिह्न भी लगाया जाएगा, जिससे हमारे कर्मचारी अलग से ही पहचान में आ सकेंगे। इससे श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिलेगी।

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