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उज्जैन

अब कवेलू का घर बनाना भी इसलिए हुआ मुश्किल

जीएसटी 5 से बढ़ाकर12 फीसदी कर दी, ईंट भट्टा संचालक बोले- पहले ही रॉ मटेरियल मंहगा अब जीएसटी बढऩे से टूटेगी कमर, ईंट 4500 प्रति हजार तो कवेलू 15 रुपए प्रति नग के भाव पहुंचे

उज्जैनApr 10, 2022 / 08:46 pm

जितेंद्र सिंह चौहान

Now making Kavelu's house also became difficult because

जीएसटी 5 से बढ़ाकर12 फीसदी कर दी, ईंट भट्टा संचालक बोले- पहले ही रॉ मटेरियल मंहगा अब जीएसटी बढऩे से टूटेगी कमर, ईंट 4500 प्रति हजार तो कवेलू 15 रुपए प्रति नग के भाव पहुंचे

उज्जैन। घर बनाने के सपने पहले ही महंगे हो चुके हैं अब गांवों में या गरीब लोगों द्वारा ईंटों और कवेलू की छत के सामान्य घर बनाना भी अब कठिन हो गया है। वजह है कि सरकार द्वारा इनके निर्माण में जीएसटी की दरों में ७ फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी गई है। लिहाजा ईंट के दाम में ५०० रुपए तो प्रति कवेलू के नग में दो से तीन रुपए तक का इजाफा हो गया है। वहीं इनके निर्माण में रॉ मटेरियल के दोगुने से ज्यादा भाव ने निर्माण कर्ताओं की कमर तोड़ दी है। अब व्यापारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस व्यवसाय को राहत प्रदान करें।
मकान निर्माण की सामग्री कीमतों में पिछले छह महीने से लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सीमेंट सरिया और रेत अब तक के सबसे अधिकतम कीमतें दर्ज करवा रही है। सरिया ७६ रुपए प्रति किलो, सीमेंट ३६० रुपए बोरी तो रेत १५००० रुपए प्रति डंपर है। ऐसे में सीमेंट-कांक्रिट मकान बनाने में लोगों के पसीनें छूट रहे हैं तो अब गांवों में या गरीब व्यक्ति द्वारा कवेलू की छत वाले घर बनाना भी मुश्किल हो गया। केंद्र सरकार द्वारा र्इंट, कवेल सहित मिट्टी से बनी सामग्री पर जीएसटी की दर ५ फीसदी से बढ़ाकर १२ फीसदी कर दी है। ऐसे में इन निर्माण सामग्री की कीमतों में भी इजाफा हो गया है। व्यापारी बता रहे हैं कि जीएसटी सहित अन्य रॉ मटेरियल के दामों में बढ़ोतरी के कारण ईंट के भाव ४५०० रुपए प्रति हजार हो गए हैं। जबकि पूर्व में इनकी कीमत ४००० रुपए तक थी। ऐसे ही एक हजार केवलू की कीमत ८ हजार रुपए में पड़ती थी अब यह १२ हजार रुपए तक पहुंच गई है। कवेलू की अलग-अलग साइज के कारण इनकी कीमत १२ से १५ रुपए प्रति नग हो गई है। यही नहीं जीएसटी बढऩे के कारण मिट्टी से बने बर्तन, खिलौने व मूर्तियां तक महंगे हो गए हैं। इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि मौसम की मार, असमय वर्षा, मजदूरी की बढ़ती दर के कारण पहले ही बहुत दिक्कत से कारोबार कर रहे हैं। वहीं अब जीएसटी बढ़ाकर इस वर्ग के लोगों की कमर ही टूट गई है। व्यापारी अब राज्य सरकार से जीएसटी की दरें कम करने तथा आर्थिक सहुलियतें देने की मांग कर रहे हैं।
रॉ मटेरियल की कीमत दोगुनी
ईंट व्यवसायी बता रहे हैं कि सरकार द्वारा जीएसटी में बढ़ोतरी ही नहीं ईंट व कवेलू बनने में रॉ मटेरियल भी महंगा हो गया। पहले फ्लाय एश ५०० रुपए तक में मिल जाती थी अब १७०० रुपए तक पहुंच गई है। वहीं कोयले के दाम में ७ हजार रुपए तक था अब यह बढ़कर १७ हजार रुपए तक पहुंच गया है। इन्हीं सामग्री के माध्यम से ईंट, कवेलू सहित अन्य निर्माण सामग्रियों को पकाया जाता है। व्यापारियों की माने तो यह इतना महंगा हो चुका है कि इस व्यवसाय का चलाना मुश्किल हो रहा है। परंपरागत व्यवसास छोड़कर कुम्हार बेरोजगार हो रहे हैं तो अन्य जगह मजदूरी करने को विवश है।
माटीकला बोर्ड..फिर भी नहीं राहत
मिट्टी से जुड़े सामान बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा माटी कला बोर्ड बनाया गया। इसके माध्यम से कारिगरों को विभिन्न सुविधाएं मुहैया भी करवाई गई है। जिस तरह से पिछले सालों में रॉ मटेरियल व टैक्स में बढ़ोतरी हुई है उससे अब व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिल पाई है। व्यापारियों ने इस संंबंध में पूर्व माटी कला बोर्ड अध्यक्ष अशोक प्रजापत को भी समस्या बताई है लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिल पाई है।
इन समस्याओं से भी जूझ रहे व्यापारी
– निर्माण के लिए जमीन की कमी
– भूमि की बढ़ती कीमतें
– खनिज विभाग द्वारा कार्रवाई व जुर्माना
– महंगी बिजली
– सीमेंट की ईंटों का बढ़ता प्रचलन
इनका कहना
मिट्टी से निर्मित ईंट, कवेलू, बर्तन, खिलौने से लेकर मूर्तियों पर सरकार द्वारा जीएसटी ५ से बढ़ाकर १२ फीसदी कर दी है। पहले ही रॉ मटेरियल महंगा है और इस टैक्स में बढ़ोतरी से यह और महंगा हो गया है। हमने सरकार से टैक्स पुन: ५ फीसदी करने की मांग की है।
– किशोर प्रजापत, कोषाध्यक्ष, प्रजापत समाज

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