महाकाल मंदिर में कोटितीर्थ के पास पुराने सभामंडप को तोड़कर 1 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से पुनर्निर्मित किया गया है। सभामंडप के आंतरिक हिस्से को नक्काशीदार लकड़ी से संवारा जा रहा है। इसमें सागवान की लकड़ी के पाट पर प्राचीन, धार्मिक संस्कृति और परंपरा की झलक नजर आएगी। सभामंडप में अंदर के हिस्से की साज-सज्जा नक्काशीदार लकड़ी से होगी। इसके बाद भीतर का पूरा भाग लकड़ी से निर्मित नजर आएगा। इसके लिए वुडन क्लोडिंग और सिलिंग का कार्य किया जा रहा है। पिलरों के आस-पास भी लकड़ी की क्लोडिंग की जाएगी। पूरे सभामंडप को लकडि़यों से कवर किया जाएगा।
इंदौर की एजेंसी को मिला काम
सभामंडप में वुडन क्लोडिंग और सिलिंग कार्य के लिए यूडीए द्वारा नक्काशीदारी के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। इसमें इंदौर की बोन-टोन एजेंसी का प्रस्ताव स्वीकार कर काम दिया गया है। सभामंडप में वुडन क्लोडिंग और सिलिंग कार्य में करीब 35 घनमीटर लकड़ी महाकाल मंदिर प्रबंध समिति, यूडीए द्वारा वन विभाग से तालमेल कर विभाग के डिपो से लेने की औपचारिकता पूरी कर ली गई है। एजेंसी को लकड़ी लाने से लेकर इनको पाट के रूप में काटने,नक्काशी और फिटिंग का काम अपनी लेबर के साथ करना होगा। इसके लिए एजेंसी को मंदिर परिसर के रिक्त स्थान पर वर्कशॉप लगाने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है। वुडन क्लोडिंग और सिलिंग के लिए सभामंडप में बेस का कार्य शुरू हो गया है। कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का लक्ष्य तय किया गया है।
सभामंडप का उपयोग श्रद्धालुओं के लिए
सभामंडप में श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारी के पहले भगवान के मुखारविंद का पूजन कर भगवान को पालकी में विराजित किया जाता है। आम दिनों में सभामंडप का उपयोग श्रद्धालुओं कांे नंदी हॉल, गणेश मंडपम बैरिकेड्स में प्रवेश देने के लिए किया जाता है। कोटितीर्थ के पास सभामंडप का कार्य करीब 10 माह पहले पूर्ण हो गया था। इसमें महाकाल के जलाभिषेक के लिए जलपात्र भी लगा दिए हैं। पहली मंजिल बनकर तैयार नवनिर्माण के बाद सभामंडप की पहली मंजिल लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। सभामंडप के पुराने भवन को तोडऩे के बाद पहले इसका मजबूत बेस तैयार किया। इसके सभामंडप में लोहे के कुल 27 पिलर लगाकर स्ट्रक्चर भी लोहे से कर इसमें लोहे का जाल बनाकर ऊपर सीमेंट-कांक्रीट किया गया है। मारबल की फ्लोरिंग की गई है। अब वुडन क्लोडिंग और सिलिंग की जा रहीं है।
पहले भी हो चुका है जीर्णोद्धार
जानकारों के अनुसार 400 वर्ष पहले ग्वालियर स्टेट की महारानी बायजाबाई द्वारा सागौन की लकड़ी से सभामंडप का जीर्णोद्धार कराया गया था। ग्वालियर स्टेट के सूबेदार रामचंद्र बाबा ने करीब 120 वर्ष पहले सभामंडप का पक्का निर्माण कराया। इसके बाद अब फिर से जीर्णोद्धार हुआ है।