पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से नागदा रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन लगाई गई थी। मशीन लगाए जाने के कुछ माह बाद ही उपयोगहीन हो गई।
उज्जैन•Dec 30, 2019 / 08:24 pm•
Kamlesh verma
प्लास्टिक बोतलों से प्रदूषित हो रहा नागदा रेलवे स्टेशन
प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन महिनों से बंद
नागदा। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से नागदा रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन लगाई गई थी। मशीन लगाए जाने के कुछ माह बाद ही उपयोगहीन हो गई। कारण देखरेख के अभाव में मशीन का खराब हो जाना है। दरअसल नागदा रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन लगाई गई है। जिसमें प्लास्टिक बोतल डाले जाने पर उपयोगर्ता को पेटीएम में पांच रुपए प्राप्त होंगे। साथ ही स्टेशन से प्लास्टिक की गंदगी भी साफ हो जाएगी। लेकिन किसी अज्ञान रेलयात्री द्वारा मशीन में प्लास्टिक के स्थान पर कांच की बोतल डाल दी गई है। जिससे मशीन ने कार्य करना बंद कर दिया है। परेशानी यह है कि, बीते दिनों रतलाम मंडल डीआरएम विनित गुप्ता के निरिक्षण के दौरान मशीन को सुधरवाने के निर्देश स्टेशन प्रबंधक भूपसिंह को दिए गए थे, बावजूद मशीन को नहीं सुधारा गया। लिहाजा स्टेशन पर प्लास्टिक पानी की बोतलों की गंदगी फैल रही है।
क्या है परेशानी
दरअसल स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत रेलवे स्टेशन नागदा पर प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन लगाई गई थी। ताकि स्टेशन पर मौजूद कूड़ेदान में फेंकी जाने वाली प्लास्टिक बॉटलों को नष्ट किए जाने के उद्देश्य से स्टेशन पर प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन लगाई गई थी। मशीन लगाए जाने के बाद कुछ ही दिन चल सकी। जिसके बाद से मशीन बंद पड़ी है। मशीन खराब होने के मामले में अधिकारियों का तर्क है कि, अज्ञान रेल यात्रियों द्वारा प्लास्टिक के बजाए कांच की बोतलें डाल दी गई है। जिससे मशीन में तकनीकी खराबी हो गई है।
चार दर्जन से अधिक गुजरती है सुपरफास्ट ट्रेनें
नागदा शहर दिल्ली मुंबई रेल रुट का प्रमुख जंक्शन होने के कारण स्टेशन से प्रतिदन चार दर्जन से अधिक सुपर फास्ट ट्रेनें गुजरती है। ऐसे में स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में स्टेशन पर रेल यात्री पानी की बोतलों को फेंकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक रेलवे स्टेशन नागदा पर प्रतिदिन एक टन प्लास्टिक कचरा एकत्र होता है। जिसमें 40 से 50 किलो प्लास्टिक बोतलें होती है। यदि उक्त बोतलों को प्लास्टिक बॉटल रिसायकलिंग मशीन में डाला जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है। स्टेशन परिसर कितना साफ सुथरा दिखाई देगा।
स्टेशन पर लगाई मशीन में एक पानी की बोतल डाले जाने पर उपयोगकर्ता को पांच रुपए पेटीएम में प्राप्त होंगे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि स्टेशन परिसर पर बहुतायत की मात्रा में निकलने वाली प्लास्टिक बोतलों को समाप्त किया जा सकें।
इनका कहना-
मशीन एक निजी एजेंसी के माध्यम से लगाई गई है। मशीन से अंजान रेल यात्रियों द्वारा मशीन में प्लास्टिक के स्थान पर कांच की बोतल डाल दी गई। जिससे मशीन ने कार्य करना बंद कर दिया। एजेंसी को सूचित किया गया है। जल्द मशीन में सुधार करवा दिया जाएगा।
भूप सिंह
स्टेशन प्रबंधक
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