जनपद अध्यक्ष का चुनाव शून्य घोषित
उज्जैन जनपद अंतर्गत 25 सदस्य हैं जिनमें से 13 भाजपा व 12 कांग्रेस समर्थित हैं। बहुमत के बावजूद प्रोक्सी वोट के विवाद के चलते भाजपा अपना अध्यक्ष नहीं बना सकी थी और कांग्रेस की विंध्या पंवार 12-0 मतों से अध्यक्ष बन गई थीं। इसके विरोध में भाजपा की प्रत्याशी रहीं भंवरबाई ने न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर हाई कोर्ट इंदौर खंडपीठ डबल बैंच ने भंवरबाई के पक्ष में फैसला देते हुए उज्जैन जनपद अध्यक्ष के चुनाव शून्य व फ्रेश इलेक्शन करवाने का फैसला दिया है। इसके बाद अब उज्जैन जनपद अध्यक्ष को लेकर दोबारा चुनाव होंगे। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई है। कई राजनीतिक विशेषज्ञ इस निर्णय को उज्जैन जनपद अध्यक्ष चुनाव में भाजपा की पहली जीत मान रहे हैं।
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कांग्रेस में भीतरघात का खतरा !
अध्यक्ष चुनाव जीतना ही नहीं, पूरे 12 वोट पाना भी कांग्रेस के लिए चुनौती माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, कुछ कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्य अघोषित रूप से भाजपा के पाले में आ चुके हैं। कुछ महीने पहले एक सदस्य के भाजपा ज्वाइन करने की भी तैयारी थी। कांग्रेस भीतरघात का शिकार भी हो सकती है और ऐसा होने पर भाजपा को समर्थित सदस्यों से भी ज्यादा वोट मिल सकते हैं। हालांकि यह राजनीतिक गलियारों में लग रहे कयास ही हैं। अधिकृत स्थिति चुनाव होने व परिणाम घोषित होने पर ही सामने आएगी।