उज्जैन

mp election 2023: गाम में इतरो गंदीवाड़ो और मच्छरना हे पामणा हुन रात नी रुकी सके

घट्टिया और तराना विधानसभा क्षेत्र: उज्जैन से नजदीक होने के कारण शहरी जीवनशैली का असर लेकिन जन सुविधाएं नहीं

उज्जैनMay 27, 2023 / 07:41 pm

Manish Gite

आशीष एस. सक्सेना

उज्जैन से सटे होने से घट्टिया और तराना विधानसभा क्षेत्रों में शहरी जीवनशैली का प्रभाव है लेकिन यहां जनसुविधाएं आज भी पुराने ढर्रे पर हैं। कानीपुरा से शुरू हुए घट्टिया विधानसभा क्षेत्र के मेरे सफर में इसकी झलक नजर आई। कई गांवों में आज भी शासकीय माध्यमिक या हायर सेकंडरी स्कूल, अस्पताल, अंदरूनी सड़कें, नलजल योजना आदि की कमी है। कानीपुरा रोड से तराना की ओर जाने पर घट्टिया विधानसभा क्षेत्र का पहला गांव कानीपुरा आता है। नई बनी सड़क के किनारे इस गांव की अंदरूनी सड़क कच्ची और गड्ढों से भरी है। इसी से बातचीत की शुरुआत की तो गंदगी से पटे कच्चे नाले को दिखाते हुए ग्रामीण दिनेश जाट बोले, इतरो गंदीवाडो है के बार का पामणा हुन (मेहमान) गांव में अई जाय तो मच्छरना का कारन रात नी रुकी सके हे। मनक कईं, नाला में ढांडा (मवेशी) फंसी जाए तो निकली नी सके। साथ बैठे गणपत दा बोले, शहर के पास होने से बिजली जरूर पूरी मिलती है। सरकारी लाइट गांव में नहीं है। पानी की टंकी है, लेकिन पानी नहीं है। सायरखेड़ी के किसान कैलाश चौधरी अस्पताल के अभाव की पीड़ा बयान कर कहते हैं, श्मशान तक रोड और पानी के लिए हैंडपंप है, लेकिन बीमार हो जाओ तो इलाज के लिए 9 किलोमीटर दूर उज्जैन भागना पड़ता है।

 

 

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बड़ा गांव पन उन्नति कोणी

आगे बावड़ी चौराहे पर होटल में बैठे बुजुर्ग बाबूलाल प्रजापत से हाल सुना। वे बोले, बड़ा गांव है, पन उन्नति कोणी। दो हजार से ज्यादा की आबादी के बाद भी इलाज के लिए उज्जैन या तराना जाना पड़ता है। वहीं दौलतपुर के किसान उदयसिंह ने कहा, सरकारी अस्पताल और हैंडपंप भी नहीं हैं। बिछड़ोद में भी गंदगी है।Ó यहां से बाइक को झीतरखेड़ी होते हुए घट्टिया की ओर मोड़ा तो रास्ते में बुजुर्ग भैरवसिंह ने लिफ्ट ली। उनके पांव में दर्द था जिसकी दवा लेने के लिए 6 किलोमीटर दूर घट्टिया जाना था। गांव में मेडिकल स्टोर नहीं है।

 

3 रुपए में एक कुप्पी पानी मिले हे…

गांव ही नहीं तहसील मुख्यालय घट्टिया भी आधारभूत सुविधा के लिए जद्दोजहद करता नजर आया। तेजाजी महाराज ओटला क्षेत्र में गड्ढों से भरी सड़क पर कीचड़ पसरा था और नालियां गायब थीं। क्षेत्रवासी टैंकर से पानी भर रहे थे। पूछने पर बाबूलाल बोले, बोरिंग की लाइन घर तक नहीं बिछी है। तीन रुपए में एक कुप्पी पानी खरीदते हैं। पास की गली से आए राजेश सोलंकी ने कहा, मोटर खराब है। इस कारण चार महीने से सरकारी नलकूप बंद है। सौ फीट पाइप और सौ फीट केबल कम पड़ रही है। हम भी निजी टैंकर से पानी खरीदते हैं।

 

तराना कुछ बेहतर

घट्टिया की तुलना में सुविधाओं के दृष्टिकोण से तराना विधानसभा क्षेत्र कुछ बेहतर नजर आया। यहां कानीपुरा-तराना रोड पर डामरीकरण चल रहा था। विकास कार्य से संतुष्ट होने के सवाल पर चाय की दुकान पर खड़े मुखरसिंह मुखर होकर बोले, हां, यहां बाहर अच्छा विकास हो रहा है। पर हकीकत देखनी है तो गांवों के अंदर चलो। भूखी इतवारा गांव तक सड़क बनाई लेकिन एक किलोमीटर दूर गुराडिय़ा डोंगर को छोड़ दिया। बारिश में पुलिया डूब जाती है। पानी उतरने का इंतजार करो, या फिर दो किलोमीटर लंबा घूमकर जाओ। प्राथमिक स्कूल की छत टपकती है। उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। मरीज-गर्भवती को अस्पताल ले जाने में ही एक घंटा लगता है।Ó ग्रामीण रमेश गुर्जर, संदीप व कैलाश दा ने भी इसी लाइन को आगे बढ़ाया। बोले, खापरा (सड़क) खराब है। कच्चे मकान अधिक हैं और उपचार के लिए तराना या फिर उज्जैन जाना पड़ता है।Ó इससे आगे कुमारवाड़ा में नलकूप से पानी भरते दयाराम ने बताया, हमारे यहां तो पानी की लाइन नहीं है।

तराना में सिविल अस्पताल है लेकिन छोटे से मामले में भी उज्जैन रैफर कर देते हैं। सड़क-नालियों की कमी है। तोतला मार्ग पर फैजान कहने लगे, मुख्य मार्ग होने के बावजूद सड़क खराब है। योजना मंजूर हो चुकी है फिर भी पांच साल में मुख्य नाले का निर्माण तक नहीं हुआ। ग्राम काकरिया के बुजुर्ग रामसिंह बोले, गांव में बैंक की सुविधा नी है, 6 किमी दूर तराना आनो पड़े। काकरिया गांव पहुंचे तो यहां सड़कें ही गायब थी। लोक परिवहन का अभाव है। कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मी बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण कर तराना जाने को मुख्य सड़क पर खड़ी थीं। वे बोलीं, गांव से एक ही बस गुजरती है, इसलिए किसी से लिफ्ट लेनी पड़ेगी।

यह भी देखें ग्राउंड रिपोर्ट…।

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