दूसरे नजरिए से देखे तो 21 दिनों में एक दिन में 14 घंटे भी अगर उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए निकाल पाते है। उम्मीदवर के पास मात्र 294 घंटे है जिसमें उन्हे 307 पोलिंग बूथ कवर करना है। इसके अलावा नगरीय क्षेत्र जिसमें रैली आदि में घंटों बीत जाते है। नगरीय क्षेत्र सुसनेर से अंतिम पोलिंग बूथ सोयत क्षेत्र में 50 किलोमीटर दूरी पर है तो वहीं बड़ागांव व नए परिसिमन के अंतिम पोलिंग बूथ की दूरी 50 किलोमीटर है। नए परिसीमन में मतदाताओं की संख्या के साथ ही यहां पर गांवो का क्षेत्रफल भी बड़ा है।
सुसनेर विधानसभा में कांग्रेस ने सबसे पहले 15 अक्टूबर को भैरूसिंह परिहार को प्रत्याशी घोषित कर दिया था, जिन्हे ज्यादा समय मिलेगा। जबकि 6 दिन बाद 21 अक्टूबर को भाजपा प्रत्याशी राणा विक्रमसिंह का टिकट फाइनल हुआ है। इसलिए प्रत्याशियों को प्रचार का पूरा समय नहीं मिला पाएगा। दोनों ही उम्मीदवारों को रूठों को मनाने में भी समय बताना पड़ रहा है। ऐसे में जनता को मनाने में नेताओं को देरी हो रही है।
नेताओं की सभाओं की व्यस्तता बढ़ा सकती है परेशानी
प्रचार के दौरान बड़े नेताओं की सभाएं व पार्टी बैठक का भी आयोजन होना है। अगर इस दौरान किसी बड़े नेता की सभा हो गई तो प्रत्याशी का पूरा दिन उसी में गुजर जाएगा। सुसनेर, सोयतकलां एवं नलखेड़ा क्षेत्र में एक से दो बड़े नेताओं की सभाएं होना तय है। नलखेड़ा व बडागांव में मतदान केंद्रों वाले क्षेत्र का फैलाव काफी है। इसलिए यहां प्रत्याशियों को 14 से 15 घंटे तक जनसंपर्क करना होगा। यदि पार्टी की बैठक या कार्यकर्ता सम्मेलन सहित जनसभा है तो उसके लिए अलग से समय निकालना होगा। कुल मिलाकर 50 से 70 किमी की दौड़ प्रतिदिन लगाना होगी।
निर्दलियों को करना होगी ज्यादा मेहनत
दो प्रमुख भाजपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याक्षियों के अलावा आधा दर्जन क्षेत्रीय पार्टी एवं निर्दलीय उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में उतर रहे है। इन उम्मीदवारों में से अधिकांश ने अपना जनसंपर्क शुरू नहीं किया है। इनके पास कार्यकर्ताओं व नेताओं का टोटा है ऐसे में इनके लिए प्रचार की राह बहुत कठिन है। कांग्रेस ने शुरू किया चुनावी भोंपू, भाजपा अभी पीछे पाटियों के प्रचार का एक और साधन माईक से अपनी उपलब्धि गिना वोटरों को अपने पक्ष में करना है। इसकी कांग्रेस उम्मीदवार ने शुरूआत कर दी है किंतु भाजपा अभी पीछे है।