उज्जैन

श्रद्धालुओं से अवैध कमाई कर मालामाल बन गए महाकाल के कई पंडे-पुजारी-कर्मचारी, बैंक खातों की जांच शुरु

Mahakal’s employees became rich कई पंडे-पुजारियों के बैंक खाते भी जांच के घेरे में हैं। मामला सामने आने के बाद महाकाल मंदिर के पंडे, पुजारियों, कर्मचारियों की संपत्तियों पर सवाल उठ रहे हैं।

उज्जैनDec 22, 2024 / 06:33 pm

deepak deewan

Mahakal’s priests and employees became rich by earning illegal money from devotees

उज्जैन. विश्वप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में करीब से दर्शन के नाम पर दर्शनार्थियों से वसूली का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। महाकाल थाने मेें अब तक पांच आरोपियों पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है। प्रारंभिक जांच में दो पुरोहित, सुरक्षा एजेंसी के तीन सुपरवाइजर समेत 10 से ज्यादा संदिग्ध सामने आए हैं। मंदिर में ‘वीआइपी दर्शन’ की आड़ में वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है, कई पंडे-पुजारियों के बैंक खाते भी जांच के घेरे में हैं। मामला सामने आने के बाद महाकाल मंदिर के पंडे, पुजारियों, कर्मचारियों की संपत्तियों पर सवाल उठ रहे हैं। कई लोग मालामाल बन चुके हैं। चर्चा है कि मामले के एक आरोपी राकेश श्रीवास्तव ने 7 साल पहले मकान के उद्घाटन में चांदी के सिक्के बांटे थे।
महाकालेश्वर दर्शन के नाम पर अनियमितताओं का मामला शुक्रवार को सामने आया। मंदिर प्रबंध समिति की शिकायत पर शुरु में दो कर्मचारियों नंदी मंडपम् प्रभारी राकेश श्रीवास्तव और सफाई कर्मचारी विनोद चौकसे के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। इन पर श्रद्धालुओं से अवैध रूप से पैसे लेकर उन्हें वीआईपी दर्शन सुविधा प्रदान करने का आरोप है।
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​अब मंदिर परिसर के सीसीटीवी फुटेज, आइटी रूम के रिकॉर्ड, रसीदों का लेखा-जोखा के साथ कई एंगल्स पर जांच की जा रही है। आरोपी के आइफोन के डिलीट डाटा को भी रिकवर करने के प्रयास शुरू हो चुके हैं, जो कई बड़े खुलासे कर सकता है।
सफाईकर्मी विनोद चौकसे की बेटी चंचल के खातों में भी संदिग्ध लेनदेन मिला है। श्रीवास्तव के एक सहायक की भूमिका भी संदिग्ध आ रही है। ऐसे में पुलिस को इनसे ओर कई जानकारियां एकत्र करना है। महाकाल थाने के टीआइ नरेंद्र परिहार बताते हैं कि श्रद्धालुओं से रुपए वसूलने मामले में जांच चल रही है। प्रकरण में और भी लोगों की भूमिका सामने आ सकती है।
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कई कर्मचारी-अधिकारी संदेह के घेरे में
दर्शनार्थियों से अवैध वसूली के मामले में मंदिर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी से जुड़े कई कर्मचारी और अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने जांच के बाद आरोपियों की संया बढ़ने के संकेत दिए हैं। पुलिस गिरफ़्त में आए आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं।
कलेक्टर का कहना है, जिस भी अधिकारी-कर्मचारी की संलिप्तता सामने आएगी, उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। फिलहाल पुलिस आरोपियों से जुड़े लोगों के बैंक दस्तावेज, कॉल रेकॉर्ड तक की जानकारी खंगाल रही है। चर्चा यह भी है कि कई कर्मचारी भूमिगत हो गए हैं।
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यह है मामला: महाकाल मंदिर में बुधवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने यूपी-गुजरात के 6 दर्शनार्थियों से 6600 रुपए वसूलने के आरोप में मंदिर कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को पकड़ा। मंदिर प्रशासन ने पुरोहित अजय शर्मा, पुरोहित प्रतिनिधि राजेश भट्ट और सेवक कुणाल शर्मा पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। इसके बाद मंदिर समिति नें सुरक्षाकर्मी विकास, संदीप, करण और कन्हैया को निलंबित किया है।
आरोपियों से पूछताछ के बाद नंदी मंडपम् प्रभारी राकेश श्रीवास्तव और सफाईकर्मी विनोद चौकसे के खिलाफ शुक्रवार रात को एफआइआर दर्ज की गई। शनिवार को हुई पूछताछ और यूपीआइ, बैंक खातों के ट्रांजेक्शन में कई नाम सामने आने की बात कही जा रही है।
कांग्रेस उजागर करेगी महाकाल मंदिर का भ्रष्टाचार
महाकाल मंदिर में हो रही अनियमितताओं, भ्रष्टाचार के खिलाफ शहर कांग्रेस ने शनिवार दोपहर में शहर कांग्रेस कार्यालय पर बैठक आयोजित की। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने सुझाव दिए। भाटी ने कहा कि महाकाल मंदिर में अनेक अनियमितता हो रही हैं, बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यहवार, भस्म आरती मे धांधली, सहित कई अन्य ज्वलंत मुद्दे हैं। इन पर शहर कांग्रेस जल्द ही बड़ा आंदोलन कर आस्था के केंद्र महाकाल मंदिर से अनियमितताएं दूर करने की मांग करेगी।
दर्शनार्थियों को लूटना बंद करें
समाजसेवी हेमंत गुप्ता ने बताया कि मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ लूट बंद होना चाहिए। मंदिर में पुरोहित के साथ यजमान और परिवार के लोग बनाकर प्रवेश कराया जाता है। इससे मंदिर की छवि धूमिल हो रही है। प्रशासन और मंदिर समिति को सत निर्णय लेकर दोषियों को कड़ी सजा दे दर्शनार्थियों का विश्वास फिर कायम करना चाहिए।
जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। मंदिर प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बशा नहीं जाएगा और मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
‘दर्शन व्यवस्था से हो रहा भ्रष्टाचार’
मध्यप्रदेश कांग्रेस की महासचिव एवं पार्षद माया त्रिवेदी ने मंदिर की दोहरी दर्शन व्यवस्था को भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण बताते हुए उसे तत्काल समाप्त करने की मांग की है। त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर में बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों के लिए नि:शुल्क सुविधायुक्त अलग नियम हैं और बाकी सबके लिए अलग नियम। जहां एक और सत्ता पक्ष से जुड़े इन लोगों को विभिन्न प्रकार की सुविधा दी जाती है, जो कि स्पर्श दर्शन, नि:शुल्क दर्शन से लेकर भस्म आरती तक उपलब्ध है। यही व्यवस्था मंदिर में भ्रष्टाचार बढ़ा रही है।
पार्षद माया त्रिवेदी ने मांग की कि मंदिर में एक व्यवस्था एक नियम लागू कर दिया जाए, जो सबके ऊपर समान रूप से लागू हो। कलेक्टर ने अभी जिन लोगों को पकड़ा है, यह तो इस भ्रष्टाचार रूपी तालाब की छोटी मछलियां हैं। यदि इसमें आगे बढ़ेंगे, तो कई बड़े लोग इसमें निकलकर आएंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में वीआइपी दर्शन और करीब से बाबा से रूबरू होने की दर्शनार्थियों की चाहत ने मंदिर के पुरोहित, प्रतिनिधि, सेवक, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को वसूली का मौका दिया है। अपने आराध्य पर सबकुछ न्योछावर करने के भाव से आने वाले आस्थावानों को वाकपटुता से जाल में फंसा आस्था की बोली लगाई जाती है। जितने पैसे, उतनी सुविधा यानी नंदी हॉल से दर्शन, लौटे को हाथ लगाकर जल चढ़ाने, नंदी हॉल में बैठकर दर्शन की सुविधा के एवज में वसूली की जाती थी।
वसूली का यह सौदा नकद में ही होता है, 10-15 प्रतिशत ही ऑनलाइन लेन-देन करते हैं। इसके बावजूद पकड़ाए आरोपियों के खातों में लाखों का लेन-देन मिला है। इसके चलते पंडे पुजारियों के खाते भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आइटी रूम का रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज तो पहले से जांच में हैं।
शनिवार को मंदिर के गलियारों में दिनभर चर्चाओं का दौर जारी रहा। चर्चा में कई बातें सामने आईं। महाकाल मंदिर के पंडे, पुजारियों,कर्मचारियों की संपन्नता पर सवाल उठे। किसी ने कहा कि 7 साल पहले राकेश श्रीवास्तव के मकान का उद्घाटन हुआ था, तब इन्होंने खास मेहमानों को चांदी के सिक्के बांटे थे। दूसरे ने बताया कि जिला प्रोटोकॉल की भी जांच हो सकती है।
मंदिर में मंदिर के नाम से बने क्यूआर कोड के जरिए सीधे अपने खाते में रुपए लेने वाले एक कर्मचारी के बारे में भी चर्चा चली। कुछ ने कहा कि 250 रुपए की रसीद का सिस्टम ही गलत है। इससे ही सारी झंझट हो रही है। इसकी आड़ में लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं। वसूली का खेल केवल दो कर्मचारियों तक सीमित नही, बल्कि इसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं।

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