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महाकाल मंदिर निर्माण में बड़ा हेरफेर, बिना टेंडर दिये हो गया लाखों का निर्माण, अब खुली मंदिर प्रबंधन की नींद

-महाकाल मंदिर निर्माण में बड़ा हेरफेर-बिना टेंडर दिये हो गया 44 लाख का निर्माण-अब मंदिर प्रबंधन ने रोका ठेकेदार का बकाया-ठेकेदार ने दी आत्मदाह की धमकी

उज्जैनAug 13, 2022 / 03:50 pm

Faiz

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महाकाल मंदिर निर्माण में बड़ा हेरफेर, बिना टेंडर दिये हो गया लाखों का निर्माण, अब खुली मंदिर प्रबंधन की नींद

उज्जैन. मध्य प्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में हालही में हुए निर्माण कार्य में बड़ा हेरफेर सामने आया है। सामने आई जानकारी के अनुसार, मंदिर परिसर में बिना टेंडर के ही लाखों रुपए का निर्माण कार्य कर दिया गया है। इस घपले का खुलासा तब हुआ जब बिल भुगतान का ऑडिट किया गया। हैरानी की बात है कि, इस तरह लाखों हेरफेर की जानकारी मंदिर प्रशासन को तब लगी, जब ये निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है। जब निर्माण कंपनी ने किये गए कार्य के संबंध में भुगतान की मांग की तो मंदिर प्रबंधन ने बिल स्वीकृत करने से इंकार कर दिया। इसपर बोखलाए ठेकेदार ने आत्मदाह करने की धमकी दे डाली है।


बताया जा रहा है कि, महाकाल मंदिर में निर्माण कार्य करने वाली कंपनी के भुगतान पर ऑडिटर की ओर से रोक लगा दी गई है। यही नहीं इसके बाद ही कंपनी के सीईओ ने ऑडिटर को आत्मदाह करने की धमकी दे दी है। इसी बात को लेकर कंपनी और मंदिर प्रबंधन के बीच जमकर विवाद भी हुआ, जिसके बाद डीएम ने इस मामले पर जांच के आदेश दे दिये हैं।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाकाल मंदिर समिति की ओर से इंदौर की एक कंपनी से मंदिर निर्माण से जुड़ा कुछ मरम्मती कार्य करवाया था। ऐसे में कंपनी ने मंदिर में करीब 44 लाख रुपए का काम कर भी दिया। इसका काम जब हुआ तो मंदिर प्रशासन को कंपनी द्वारा बिल भेजे गए, लेकिन इस बिल को मंदिर समिति की ओर से स्वीकृत करने से इंकार कर दिया। महाकाल प्रबंधन का कहना है कि, कंपनी द्वारा उसकी ओर से किसी प्रकार का निर्माण कार्य कराया ही नहीं गया। वहीं, कंपनी के सीईओ ने मंदिर समिति द्वारा ही ठेका देने का कहते हुए जमकर हंगामा किया। यही नहीं, ठेकेदार का कहना है कि, अगर तत्काल निराकरण नहीं हुआ तो वो आत्मदाह कर लेगा।


इसलिए नहीं किया, बिल भुगतान

मीडिया बातचीत के दौरान मंदिर समिति के सदस्य गणेश धाकड़ का कहना है कि, बिल अधिक दिया गया है। ऐसे में जो मंदिर का इंजीनियर है उसने जांच में माात्र 17 लाख का निर्माण कार्य होना ही पाया है। आरोप तो ये भी हैं कि, निर्माण की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इस वजह से बिल भुगतान की स्वीकृति नहीं दी गई है।

 

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ठेकेदार बोला- भावना व्यास ने किया था कॉल

वहीं, दूसरी तरफ सिग्निफाई प्रायवेट लिमिटेड में सीइओ भरत पटवा का कहना है कि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने के पहले यानी 15 मई को उनके पास भावना व्यास का कॉल आया था। उन्होंने कहा की मंदिर में निर्माण कार्य होना है। इसके लिए पहले उन्होंने कोटेशन लिया उसके बाद कार्य की स्वीकृति दी। आगे बताया कि, उन्होंने करीब 44 लाख रुपये का कोटेशन था। उसके बाद ही मंदिर का कार्य शुरू किया। लेकिन अब उनका बिल पास नहीं हो रहा।

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