सभा मंडप में पूजन-अर्चन के बाद सवारी शाम 4 बजे मंदिर से चलेगी। इस बार नंदीजी पर उमा-महेश स्वरूप के दर्शन भक्तों को होंगे। चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड रथ पर श्री शिव तांडव प्रतिमा के मुखारविंद विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
सशस्त्र पुलिस बल के जवान देंगे सलामी
मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा सलामी दी जाएगी। यहां से सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, कार्तिक चौक, ढाबारोड, टंकी चौराहा, गोपाल मंदिर पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर आएगी।
बाबा महाकाल की सवारियों के साथ भजन मंडलियों के साथ ही इस बार से प्रदेश के विभिन्न जिलों से जनजातीय कलाकार भी अपनी पारंपरिक प्रस्तुति देते हुए शामिल हो रहे हैं। सोमवार को सीधी जिले की घासी जनजातीय समूह द्वारा घसिया बाजा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
आज ये होंगे शामिल
सवारी में वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत शामिल होंगे। इससे पहले वे भस्म आरती के दर्शन करेंगे। साथ ही महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया भी सवारी में शामिल होंगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार सवारी में इस बार सीधी जिले के घसिया बाजा नृत्य दल की प्रस्तुति होगी। पालकी में भजन मंडलियां और झांझ-डमरू वादकों के दल भी रहेंगे। क्यों खास है घसिया बाजा नृत्य दल
एमपी की घासी जनजातीय घसिया बाजा नृत्य सीधी के उपेन्द्र सिंह के नेतृत्व में दल चौथी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ चलेगा। विंध्य मेकल क्षेत्र का प्रसिद्ध घसिया बाजा सीधी के बकबा, सिकरा, नचनी महुआ, गजरा बहरा, सिंगरावल आदि ग्रामों में निवासरत घसिया एवं गौंड जनजाति के कलाकरों द्वारा किया जाता है।
इस नृत्य की उत्पत्ति के संबंध में किंवदंती है कि यह नृत्य शिव की बारात में विभिन्न वनवासियों द्वारा किए जा रहे करतब का एक रूप है। जिस तरह शिव की बारात में दानव, मानव, भूत-प्रेत, भिन्न भिन्न तरह के जानवर आदि शामिल हुए थे। कुछ उसी तरह इस नृत्य में भी कलाकारों द्वारा अनुकरण किया जाता है।
इस नृत्य के कलाकार इसे 12 अलग अलग तालों में पूरा करते हैं। यह गुदुम बाजा, डफली, शहनाई, टिमकी, मांदर, घुनघुना वाद्य यंत्रों का उपयोग करते हैं।
सवारी का होगा लाइव प्रसारण
उज्जैन में श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी का लाइव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक व सवारी के अंत में चलित रथ में एल.ई.डी. के माध्यम से किया जाएगा। इससे सवारी मार्ग में दर्शन के लिए खड़े श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन हो सकेंगे। इस चलित रथ की विशेषता यह है कि, इसमें लाइव बॉक्स रहेगा, जिससे लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से चलता रहेगा। मंदिर के जिस मुख्य द्वार से राजाधिराज महाकाल की पालकी नगर भ्रमण के लिए निकलेगी, वहां केवल पारंपरिक भजन मंडलियां व झांझ-डमरू दल को शामिल किया जाएगा।
इन बातों का रखें ध्यान
1.व्यापारी सड़क की ओर भट्टी चालू न रखें और न ही तेल का कड़ाव रखें।
2.दर्शनार्थी उल्टी दिशा में न चलें, सवारी निकलने तक अपने स्थान पर ही खड़े रहें।
3.दर्शनार्थी गलियों में वाहन न रखें।
4.सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल आदि न फेकें।
5.सवारी के बीच में प्रसाद और चित्र वितरण न करें।
6.पालकी के आसपास अनावश्यक भीड़ न बढ़ाएं।
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आज ये रहेगी महाकाल दर्शन की व्यवस्था
1.सावन सोमवार को सामान्य श्रद्धालुओं का प्रवेश त्रिवेणी संग्रहालय के समीप नंदी द्वार, महाकाल लोक, मानसरोवर भवन, फेसिलिटी सेंटर 01, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से होकर दर्शन करेंगे।
2.भारत माता मंदिर की ओर से आने वाले श्रद्धालु शंख द्वार से मानसरोवर भवन, फेसिलिटी सेंटर 01, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से दर्शन कर निर्माल्य द्वार अथवा नवीन आपातकालीन द्वार से बाहर निकलेंगे।
3.शीघ्र दर्शन 250 रुपए प्रति व्यक्ति टिकटधारी 4 नंबर गेट से प्रवेश करेंगे।
4.कावड़ यात्रियों को पूर्व सूचना दिए जाने पर शनिवार, रविवार, सोमवार को छोडक़र गेट नं. 4 से प्रवेश दिया जाएगा। जल अर्पण करने की व्यवस्था तय रहेगी। ऐसे कावड़ यात्री जो बिना किसी पूर्व सूचना के पहुंचते हैं उन्हें सामान्य श्रद्धालु की भांति दर्शन करने होंगे।
5.वीवीआइ की दर्शन व्यवस्था नीलकण्ठ मार्ग से होते सत्कार कक्ष, निर्माल्य द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे।
6.पुजारी/पुरोहित/मीडियाकर्मियों को 4 नंबर गेट से प्रवेश कर दिया जाएगा।
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