नींद न आना, डिप्रेशन, एन्जाइटी, माइग्रेन, अत्यधिक चिड़चिड़ापन, यहां तक कि सोशल मीडिया पर लाइक, शेयर को लेकर हद से ज्यादा बेचैनी भी मानसिक रोग के संकेत हैं। इसे हम एक केस से समझ सकते हैं-
18 वर्षीय युवक को सोशल मीडिया पर बॉडी बिल्डर्स की रील्स देखने की लत लगी, उसने अपना शरीर भी उनके जैसा बनाने के लिए जिम शुरू किया। बगैर एक्सपर्ट, सप्लीमेंट्स लेने लगा, इस पर भी संतुष्टि नहीं मिली, बुलेट लेने की जिद शुरू कर दी। जिद इस कदर कि मध्यमवर्गीय अभिभावकों को क्षमता से बाहर जाकर बुलेट दिलाना पड़ी। किशोर अब भी संतुष्ट नहीं है, विशेष दिखने के लिए उसकी जिद बढ़ती जा रही है, साथ ही चिड़चिड़ापन भी बढ़ रहा है।
दरअसल, उसे मानसिक बीमारी एन्जाइटी और आयपोनिक हो गया है, जिसका इलाज चल रहा है। ऐसे कई केस हैं। बार-बार हाथ धोना ओसीडी का रूप है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य ही यह है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता से लें, इसके प्रति जागरूक हों।
आगे बढ़ने की होड़ ने असंतुष्टि बढ़ाई
असंतुष्टि के भाव की अधिकता मनोरोग का कारण बनती है। दूसरों से आगे बढऩे की होड़, फिर वह नौकरी-व्यवसाय में हो या सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संया की हो। आजकल कई युवा यूट्यूबर बन रहे हैं, इस सोच से कि आसानी से पहचान और पैसा मिलेगा। जब वे अच्छा रिस्पोंस मिलता है तो और रील्स बनाने की लत लगती है। जब रिस्पोंस नहीं मिलता तो अवसाद की स्थिति बनती है। रील्स को रियल लाइफ से तुलना कर असंतुष्ट होना, अपनों से ज्यादा मोबाइल के साथ रहना जैसी समस्या कई लोगों में देखी जा रही है, जो लोगों को पता नहीं चलती है।
नींद नहीं आने से रोग की शुरुआत
मानसिक रोग की शुरुआत नींद नहीं आने व बार-बार सिर दर्द से होती है। इस समस्या से कई लोग जूझ रहे हैं। इस समस्या को नजरअंदाज करना, दूसरी बीमारियों को जन्म देता है। माइग्रेन, ओवर थिकिंग, एन्जाइटी जैसी समस्या आम हो रही हैं। युवाओं का वर्कहोलिक होना भी एक कारण बन रहा है।उपचार की शुरुआत लाइफ स्टाइल बदलने से करें
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए पहली प्राथमिकता दिनचर्या को व्यवस्थित रखना है। रोज 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लें। गुस्से को अपनी शान न समझे बल्कि इससे बचे, शांत रहना सीखें। जो है, जैसे हैं, उससे थोड़ा संतुष्ट होना सीखें। अपनी लाइफ की कभी दूसरों से तुलना न करें। सोशल मीडिया की दुनिया में कम से कम समय दें। अच्छे दोस्त बनाएं व परिवार में खुशनुमा माहौल बनाकर रखें। परिवार के साथ ज्यादा समय व्यतीत करें। खानपान सही व नियमित दिनचर्या रखें। मनोरोग होने की आशंका पर चिकित्सक की सलाह लें। किसी भी प्रकार के नशे से दूरी बनाकर रखें। खुश रहना सीखें व जिंदगी के हर बुरे पहलू को सकारात्मकता में लेना शुरू करें। मस्तिष्क शरीर का राजा होता है, इसलिए कभी भी अपने दिमाग को चैलेंज करने की कोशिश न करे।
बच्चे दूसरे माहौल को स्वीकार नहीं कर रहे
छोटे बच्चों में खेल मैदान से दूर होने और मोबाइल पर अधिक समय देने से मनोरोग का तेजी से शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोज 40-50 मरीज आते हैं, जिनमें से 10-15 नए होते हैं। इनमें अधिकतर बच्चे हैं। बच्चों में पीयर प्रेशर, परफार्मेंस एन्जाइटी, लत, सेपरेशन एन्जाइटी, सोशल मीडिया एडिक्शन, चाइल्डहुड डिप्रेशन, कंडक्ट डिसऑर्डर, एडीएचडी और कपलीटेड सुसाइड के केस अधिक मिल रहे हैं।कार्यस्थल पर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें
कई मरीज ऐसे भी हैं, जो सोशल मीडिया से ज्यादा जुड़े नहीं हैं लेकिन उनमें भी एन्जाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस जैसी समस्या होती है। ऐसे मरीजों में से अधिकतर वर्क प्रेशर में आने और अपने लिए समय नहीं निकालने से ग्रसित होते हैं। कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है। ताजा रिसर्च के अनुसार 50 प्रतिशत जनसंख्या को मानसिक स्वास्थ्य का खतरा रहता है।पंचकर्म से मिल रहा मस्तिष्क को आराम
मानसिक समस्याओं को लेकर बड़ी संया में मरीज आयुर्वेदिक उपचार करवा रहे हैं। शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद कॉलेज में कई मरीज एन्जाइटी, अनींद्रा, मिर्गी, याददाश्त कमजोर होना और अवसाद की समस्या लेकर आ रहे हैं। मरीजों से चर्चा में हमने पाया है कि दूसरों से आगे निकलने की होड़, अव्यवस्थित दिनचर्या, रात तक टीवी-मोबाइल देखने की लत इन बीमारियों के बड़े कारण हैं। ऐसे मरीजों को दवाइयों के साथ ही पंचकर्म की ट्रीटमेंट दिया जाता है। पंचकर्म में शिरोधारा दी जाती है। यह करीब 40 मिनट की प्रक्रिया है। इससे मास्टर ग्लेंट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, मरीज को शांति मिलती है और वह अच्छा महसूस करता है।
– डॉ. निपेंद्र मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय ये भी पढ़ें: खुशखबरी, 14 साल से घर का इंतजार कर रहे लोगों को मिलेगा घर, यहां आपकी भी होगी प्रोपर्टी