ऐसे में अगर दोनों क्षेत्रों की जमीन शामिल नहीं की गई तो आने वाले सिंहस्थ में जमीन की बड़ी कमी सामने आ सकती है। दरअसल, इसी जमीन पर पिछले सिंहस्थ में सैटेलाइट टाउन से लेकर पार्किंग तथा संतों के आश्रम स्थापित हुए थे। इस जमीन को छोड़ा जाता है तो सिंहस्थ क्षेत्र शहर से पांच से सात किमी दूर पहुंचने की संभावना रहेगी।
मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2016 के सिंहस्थ मेले के लिए 3061.607 हेक्टेयर भूमि अधिसूचित की गई थी। इसमें सैटेलाइट टाउन के लिए 352.915 हेक्टेयर जमीन थी। दोनों मिलाकर करीब 3414 हेक्टेयर जमीन ली गई थी।
अब वर्ष 2028 के सिंहस्थ में 42 फीसदी जमीन की बढ़ोतरी संभावित है। यानी अगले सिंहस्थ में 1400 हेक्टेयर जमीन और बढ़ाना होगी। लिहाजा अब सिंहस्थ क्षेत्र में नई जमीन को भी अधिसूचित करना होगा। ऐसे में शहर के नजदीक जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की जमीन ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। चूंकि यह जमीन शहर के नजदीक है। सिंहस्थ क्षेत्र में पहुंच का प्रमुख मार्ग भी है।
यदि इसे छोड़ दिया जाता है तो सिंहस्थ मेले के लिए बडऩगर रोड या उन्हेल-नागदा रोड की तरफ अतिरिक्त जमीन लेना होगी। इससे मेला क्षेत्र शहर से ओर दूर हो जाएगा और यात्रियों को लंबी दूरी तय करना पड़ेगी। बता दें कि मास्टर प्लान 2035 में इस जमीन को कृषि भूमि से सीधे आवासीय घोषित करना प्रस्तावित किया गया है। इसी का विरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सहित शहर के अन्य जनप्रतिनिधि भी कर रहे हैं।
हर सिंहस्थ में बढ़ा क्षेत्रफल
12 वर्ष में एक बार लगने वाले सिंहस्थ मेले के लिए हर बार जमीन में इजाफा किया गया है। वर्ष 2004 के सिंहस्थ में 1250 हेक्टेयर की तुलना में 2016 के सिंहस्थ में 916 हेक्टयर जमीन बढ़ाई गई थी, जो कि कुछ अधिसूचित जमीन का 42 फीसदी थी। इसी आधार को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान में वर्ष 2028 के इतना ही सिंहस्थ का क्षेत्रफल बढ़ाए जाने की संभावना व्यक्ति की गई है।
पहले ही अवैध निर्माण की भरमार
सिंहस्थ भूमि की अतिरिक्त आवश्यकता इसलिए भी है कि वर्तमान में सिंहस्थ के लिए जो जमीन आरक्षित है, उस पर लगातार अतिक्रमण होकर निर्माण हो रहे हैं। वर्ष 2016 के सिंहस्थ में करीब 400 की संख्या में सिंहस्थ अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे, इनमें 90 फीसदी अतिक्रमण नहीं हट पाए थे। वहीं अब दोबारा से सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध कॉलोनी से लेकर अन्य निर्माण हो रहे हैं। लिहाजा अगला सिंहस्थ बडऩगर, इंदौर और आगर रोड की तरफ फैलेगा।
इसलिए है महत्वपूर्ण है जमीन
जीवनखेडी और सांवराखेड़ी की जमीन का उपयोग सिंहस्थ 2016 में किया था। यहां सैटेलाइट टाउन, पार्किंग व संत-महात्माओं के आश्रम बने थे।
सिंहस्थ बायपास के रूप में यह सीधे बडऩगर व मुल्लापुरा तक आसान पहुंच मार्ग है। जो सिंहस्थ का महत्वपूर्ण मार्ग है।
सिंहस्थ 2028 में सर्वाधिक यात्री इंदौर रोड से आएंगे, जो सिंहस्थ मेले के लिए इसी मार्ग का उपयोग करेंगे।
जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की खाली जमीन पर यात्री व संतों की सुविधा के लिए विभिन्न निर्माण के लिए जरूरी रहेगी।
यह है मेला क्षेत्र: उज्जैन नगर पालिका निगम का पूरा क्षेत्र, पंचक्रोशी पड़ाव स्थल के रूप में ग्राम उंडासा, पिंग्लेश्वर, करोहन, नलवा, अंबोदिया तथा जैथल। रेलवे स्टेशन पिंग्लेश्वर, विक्रमनगर, नइखेड़ी व चिंतामण।
यह सैटेलाइट टाउन दाऊदखेड़ी के पीछे सिंहस्थ बायपास, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, सोयाबीन प्लांट के पास देवास रोड, मक्सी रोड पर पंवासा, उन्हेल रोड सहित सोडंग व आगर रोड पर सात करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ सकते हैं।
सिंहस्थ 2016 में करीब 5 करोड़ श्रद्धालु शहर आए थे। मास्टर प्लान में 2028 में यह संख्या 7 करोड़ से अधिक पहुंचने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा साधु-संतों के पंडाल की साइज और उनकी संख्या में इजाफा होगा। इसलिए वर्ष 2028 के सिहंस्थ में श्रद्धालु की ज्यादा संख्या को ध्यान में रखते हुए ज्यादा जमीन की आवश्यकता जताई गई है।
हम महाकाल मंदिर की प्लानिंग 100 साल की कर रहे हैं लेकिन सिंहस्थ की 2028 की प्लानिंग नहीं कर पा रहे हैं।। जब सिंहस्थ में 75 फीसदी ट्रैफिक इंदौर तरफ से रहेगा तो सिंहस्थ बायपास के दोनों ओर की जमीन को आवासीय क्यों किया जा रहा है। जबकि पूर्व में तय किया था कि जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी के लेफ्ट में 100 मीटर तथा राइट में पूरा क्षेत्र सिंहस्थ के लिए रहेगा। इसका प्रस्ताव भी भेजा था फिर इसे सिंहस्थ क्षेत्र में शामिल करने में क्या परेशानी है।
– सोनू गेहलोत, पूर्व अध्यक्ष, नगर निगम, उज्जैन
मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ भूमि को लेकर आई आपत्तियों को लेकर शासन स्तर पर फिर से सुनवाई हो रही है। इस विषय में सीधे शासन को आपत्ति दर्ज की जा सकती है।
– सीके साधव, ज्वाइंट डायरेक्टर, नगर तथा ग्राम निवेश