उज्जैन

युवा की दीक्षा- ग्रेजुएट युवा आकाश बने मुनि मोक्षयश विजय, हंंसते-हंसते त्यागे सांसारिक सुख

– वल्लभ वैराग्य वाटिका में हजारों लोगों की साक्षी में हुई दीक्षा विधि- 9 साल बाद उज्जैन में किसी युवा की दीक्षा- जयकारों से गूंजा परिसर, रजोहरण मिलते ही भक्ति में झूमे

उज्जैनMay 05, 2022 / 09:19 am

दीपेश तिवारी

उज्जैन। अपने घर के इकलौते बेटे, श्वेताम्बर जैन समाज के 24 वर्षीय ग्रेजुएट युवा आकाश राजबहादुर लोढ़ा ने हंसते-हंसते सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया और बुधवार को संयम जीवन अंगीकार किया। अरविंद नगर के परिसर में तैयार विजय वल्लभ वैराग्य वाटिका में हजारों लोगों की साक्षी में राजकीय अतिथि गच्छाधिपति आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर ने आकाश को जैन मुनि दीक्षा दी।

जिस पर मुनि मोक्षयश विजय जी नाम मिला। प्रक्रिया पूर्ण होते ही जैसे ही गुरुदेव ने उसे रजोहरण दिया, वह भक्ति में झूम उठा। फिर बंद कमरे में मुंडन के बाद मुनि वेष धारण कर जैसे ही मंच तक पहुंचे तो दीक्षार्थी की जय-जयकार से परिसर गूंज उठा। युवा प्रवचनकार मुनि मोक्षानंद विजय जी नूतन दीक्षित के गुरु होंगे।

महोत्सव मातुश्री लीला बाई शांतिलाल कोचर एवं इंदिरा नगर जैन श्री संघ के संयोजन में हुआ। दीक्षा से पूर्व सुबह घर से निकलने दौरान आकाश को परिजनों ने भावुक होकर विदाई दी। महोत्सव समिति के योगेश कोचर के अनुसार दीक्षा आयोजन में मालवा अंचल सहित दिल्ली, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत से सैकड़ों गुरु भक्त उज्जैन आए। 9 साल बाद उज्जैन में यह संयोग बना है जब श्वेतांबर समाज के युवा की मुनि दीक्षा हुई। इसके पहले लखेरवाड़ी निवासी 21 साल के गौरव तरवेचा ने दीक्षा ली थी।

आज आंगन प्रवेश : नूतन दीक्षित मुनि मंडल के साथ गुरुवार सुबह 8 बजे इंदिरा नगर स्थित अपने निवास पर पर पधारेंगे। इसके बाद वे शाम में आचार्यश्री के साथ इंदौर की ओर पैदल विहार करेंगे। इधर इंदौर के क्लर्क कॉलोनी श्री संघ की विनंती स्वीकार करते हुए आचार्य श्री साध्वी देवेंद्र श्रीजी मसा का चातुर्मास वहां करने की घोषणा की। साध्वी शीलरत्न श्रीजी व साध्वी शील प्रज्ञा श्रीजी मसा का चातुर्मास इंदिरा नगर जैन मंदिर पर होगा।

महोत्सव की झलकियां
: दीक्षा सुबह 9 से शुरू हुई और दोपहर 2.30 बजे तक चली।
: वैराग्य ले रहे आकाश के चेहरे पर अलग ही उत्साह नजर आया।
: मुनि वेष में आए बेटे को माता-पिता सहित उपस्थित सैकड़ों लोगों ने उन्हें वंदन किया।
: दीक्षार्थी की सांसारिक मासी साध्वीश्री चेतन प्रज्ञा श्रीजी, शीलरत्न श्रीजी एवं श्री शीलप्रज्ञा श्रीजी भी मंच पर मौजूद रहीं।
: विधि दौरान स्थल छोटा पड़ गया तो लोगों ने सीढिय़ों, गैलरी व अन्य स्थानों पर बैठकर प्रसंगों को देखा। तीन मेगा स्क्रीन भी लगाई गई थी।
: दीक्षा विधि के बाद मुनि मोक्षानंद विजय जी, दीक्षार्थी की माता विनीता लोढ़ा व अन्य का इक्षु रस से वर्षी तप पारणा हुआ।

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