कछवाय के घर लड्डू-बाफले का आनंद लेते अटल
1977 में तत्कालीन सांसद हुकमचंद कछवाय के बहादुरगंज स्थित निवास पर दाल-बाफल-लड्डू का आनंद लेते अटल बिहारी वाजपेयी। यह दुर्लभ फोटो हुकमचंद के पुत्र भूपेंद्र कछवाय ने पत्रिका को उपलब्ध कराया है।
नई नहीं है यह परंपरा
चुनावों में ताबड़तोड़ नाम तय करने की परंपरा नई नहीं है, लेकिन किसी को रात को जगाकर यह बताया जाए कि उसकी टिकट पक्की हो गई है। सुबह नामांकन करना है तो मामला रोचक हो जाता है। उज्जैन में २८ साल पहले ऐसा ही हुआ था। घट्टिया से कांग्रेस प्रत्याशी हुकमचंद कछवाय को आधी रात को चुनाव की तैयारी करने की सूचना मिली थी। हुकमचंद को दिल्ली से तड़के फोन कर नामांकन की तैयारी करने की सूचना दी गई थी।
तब चुनौती थी सत्ता पाने की
विधानसभा चुनाव 1990 में कांग्रेस के सामने सरकार कायम रखने और भाजपा के लिए सत्ता पाने की चुनौती थी। दोनों दल उम्मीदवार तय करने में भारी मशक्कत कर रहे थे। कांग्रेस उज्जैन जिले की घट्टिया सीट पर उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही थी। उस वक्त पार्टी को इस क्षेत्र के लिए मजबूत प्रत्याशी की आवश्यकता थी। एेसे में हुकमचंद कछवाय का नाम सामने आया। कांग्रेस ने चार बार लोकसभा सदस्य रहे हुकमचंद का नाम तय कर दिया। इसकी सूचना रात ढाई बजे मिली थी। उस दौर में संचार माध्यम इतने व्यापक नहीं थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटासिंह ने प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेंद्र जैन को फोन कर हुकमचंद तक सूचना पहुंचाने को कहा था।
नींद से जगाकर बताया कि आपको चुनाव लडऩा है
मंत्री जैन रात में अपनी कार से हुकमचंद के घर पहुंचे। उन्हें नींद से जगाकर बताया कि आपको घट्टिया से चुनाव लडऩा है। एक दिन बाद हुकमचंद ने जिले की अन्य छह सीटों के लिए तय कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ जाकर नामांकन दाखिल कर दिया।
(जैसा कि हुकमचंद कछवाय के पुत्र भूपेंद्र कछवाय ने उज्जैन में पत्रिका संवाददाता शैलेष व्यास को बताया।)