scriptसबसे पहले जलेगी बाबा महाकाल के दरबार में होली | Holi will be lit first in the court of Baba Mahakal | Patrika News
उज्जैन

सबसे पहले जलेगी बाबा महाकाल के दरबार में होली

– 6 को संध्या आरती और 7 की सुबह भस्म आरती में उड़ेगा रंग-गुलाल

उज्जैनMar 05, 2023 / 10:18 pm

दीपेश तिवारी

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उज्जैन। हर त्योहार की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन से होती है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार, सोमवार को संध्या पूजन के बाद सबसे पहले महाकाल मंदिर के प्रांगण में हालिका का पूजन और दहन होगा। इसके बाद मंगलवार सुबह भस्म आरती में रंग-गुलाल उड़ाया जाएगा। इसके लिए पुजारी दिलीप गुरु व अन्य पुजारी-पुरोहितों की मदद से 5 क्विंटल टेसू के फूलों को उबालकर हर्बल रंग तैयार किया जाएगा।
हर त्योहार ग्वालियर पंचांग अनुसार मनाया जाता है
पुजारी महेश गुरु ने बताया कि तिथियों की घट-बढ़ के कारण देशभर में भले ही होली का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन बाबा महाकाल के दरबार में इस पर्व की शुरुआत 6 मार्च से ही हो जाएगी। मंदिर में हर त्योहार ग्वालियर पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।

मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा पर प्रदोषकाल में होलिका पूजन व दहन का विधान है। पंचांग की गणना अनुसार 6 मार्च को सुबह चतुर्दशी और शाम को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि होने से महाकाल मंदिर में शाम को होलिका का पूजन व दहन होगा।

इस बार होली की तिथि को लेकर संशय
वहीं फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 6 और 7 मार्च 2023 को है, लेकिन सोमवार की पूरी रात पूर्णिमा रहेगी और मंगलवार को दिनभर रहेगी। होलिका दहन पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद किया जाता है। इसे छोली होली भी कहते हैं, वहीं होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। पूर्णिमा तिथि दो दिन होने से इस बार होलिका दहन की डेट को लेकर लोगों में संशय की स्थिति है।

जानकारों व पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 की शाम 4.17 पर शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 7 मार्च 2023 को शाम 6.09 तक है। होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। माना जाता है कि होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

ऐसे में होलिक दहन के समय भद्रा काल जरुर देखा जाता है। वहीं कई जानकारों का मानना है कि होलिका दहन भद्रा के पूर्णता समाप्त होने के बाद यानी 7 मार्च को करना शुभ होगा। वहीं कुछ का कहना है कि भद्रा के पुंछ काल होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है। जो 6-7 मार्च की दरमियानी रात में रहेगा। भद्रा पुंछ में किए गए कामों में जीत प्राप्त होती है।

https://youtu.be/7yeuyozPkMk

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