उज्जैन

हरिहर मिलन :- सृष्टि का भार सौंपने खुद महाकाल पहुंचे गोपाल मंदिर

महाकाल की सवारी रात 11 बजे मंदिर से प्रारंभ होकर रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। जहां बाबा महाकाल ने सृष्टि का सम्पूर्ण भार गोपाल जी को सौंपा।

उज्जैनNov 18, 2021 / 08:56 am

Subodh Tripathi

हरिहर मिलन :- सृष्टि का भार सौंपने खुद महाकाल पहुंचे गोपाल मंदिर

उज्जैन. साल में एक बार वैकुंठ चतुर्दशी पर निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी बुधवार रात को निकली, जिसमें बग्गी में विराजे महाकाल रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंचे। यहां गोपालजी को सृष्टि का भार सौंपा गया, इसे हरिहर मिलन की सवारी कहा जाता है, जो साल में एक बार निकलती है। इस अवसर पर सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। ऐसे में उज्जैन नगरी में आधी रात को भी धर्मगंगा बहती नजर आ रही थी।

जानकारी के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल की विशेष रूप से सवारी निकाली जाती है। महाकाल की यह विशेष सवारी रात को निकलती है। महाकाल की यह सवारी अगहन महीने में निकलनेवाली चार सवारियों से अलग यानि पांचवीं सवारी होती है।

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महाकाल की इस सवारी को हरिहर मिलन सवारी के रूप में भी जाना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से यह सवारी बुधवार रात करीब 11 बजे रवाना हुई। जो मुख्य मार्गों से होते हुए रात को ही ठीक 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। जहां पर हरिहर मिलन हुआ। इस अवसर पर भगवान शिव की ओर से भगवान कृष्ण को बिल्वपत्र की माला अर्पित की गई। वहीं भगवान कृष्ण की ओर से शिवजी को तुलसी की माला भेंट की, महाकाल मंदिर समिति सदस्यों के अनुसार चातुर्मास से जागने के बाद भगवान शिव सभी अलौकिक व्यवस्थाएं भगवान विष्णु को सौंप देते हैं। सदस्यों ने बताया कि उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए यह सवारी निकाली जाती है।

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