शिवलिंग को क्षरण या नुकसान से बचाने के प्रयास
बता दें कि महाकाल शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है। ऐसे में ज्योतिलिंग को क्षरण से बचाने के लिए वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि एएसआई और जीएसआई की टीम हर साल महाकाल शिवलिंग की जांच करेगी और रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जीएसआई, एएसआई के विशेषज्ञ समय-समय पर महाकाल मंदिर आते रहे हैं। ये टीम अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करती है।
ज्योतिर्लिंग पर इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों के साथ ही अन्य सामग्रियों की जांच भी की जाएगी। भस्म के पीएच मानक की जांच कराई जाएगी। इसीलिए सोमवार को सात सदस्यीय दल ने मंदिर पहुंचकर शिवलिंग की स्थिति का आकलन किया। टीम ने शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैम्पल लिया। लैबोरेटरी में टेस्टिंग के बाद रिपोर्ट जीएसआई के अधिकारियों को सौंपी जाएगी।
आपको बता दें कि जीएसआई की टीम ने 2019 में महाकाल मंदिर का निरीक्षण किया था और अपनी रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। उसके बाद दिसंबर 2022 में जीएसआई ने फिर से निरीक्षण किया था। तब जीएसआई ने पाया कि उसके कई सुझावों का मंदिर समिति की ओर से कोई पालन नहीं किया गया। शिवलिंग पर भस्म का गिरना और श्रद्धालुओं का स्पर्श और रगड़ने से ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंच रहा है। इससे ज्योतिर्लिंग पर छोटे-छोटे छेद हो गए हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं। इनमें बैक्टीरिया पनपते हैं, जिससे शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। इसके बाद ही जुलाई 2023 से गर्भ गृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तब से अब तक महाकाल गर्भगृह में प्रवेश बंद है।
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