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बछबारस पर होती है शयन आरती
मान्यता के अनुसार, बछवारस पर भगवान बड़े होते हैं, इस दिन दोपहर 12 बजे शयन आरती होती है। मंदिर के पुजारी अर्पित जोशी ने बताया कि, जन्म लेने के कुछ दिनों तक बच्चों के सोने-जागने का समय तय नहीं रहता। इसी वजह से जन्माष्टमी के बाद अगले चार दिनों तक मंदिर में आरती नहीं होती। पांचवे दिन बछवारस पर मंदिर के मुख्य द्वार पर बंधी माखन मटकी फोड़ते हैं। इस बार भी यह उत्सव 16 अगस्त को बछबारस के अवसर पर दोपहर 12 बजे मनाया जाएगा।
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धूमधाम से मनाया गया श्री कृष्ण का जन्मोत्सव
धर्मधानी उज्जयिनी में मंगलवार को शैव मत के अनुसार, जन्माष्टमी पर्व मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम व सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। बड़ा गणेश मंदिर में भी उत्सवी छटा देखने को मिली। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में संध्या आरती के बाद नैवेद्य कक्ष में बाल गोपाल की पूजा अर्चना की गई। इस बार खासतौर पर घरों में भी कृष्ण जन्म का उल्लास छाया रहा। भरतपुर स्थित इस्कॉन मंदिर बुधवार को वैष्णव मतानुसार जन्माष्टमी मनाई गई।