धार्मिक नगरी उज्जैन के गेबी हनुमान मंदिर में अमिताभ बच्चन समेत कई हस्तियों की आस्था है। शुक्रवार को भी फिल्म एक्टर अमिताभ बच्चन ने हनुमान अष्टमी पर सभी को शुभकामनाएं भी दी हैं। उन्होंने लिखा था कि प्रभु श्री के आज के अति सुंदर, मनमोहक श्रृंगार के दर्शन का लाभ लें, प्रभु श्री की कृपा सदा बनी रहे। आपको श्री हनुमान अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। गेबी हनुमान मंदिर के पुजारी राजकुमार दास बताते हैं कि अमिताभ बच्चन कभी इस दरबार में नहीं आए, लेकिन उनकी आस्था इस मंदिर में हैं। यहां के कई लोग अमिताभ बच्चन को हर दिन तस्वीरें भेजते हैं। बच्चन यहां की तस्वीरें साल में करीब 12 बार शेयर करते हैं।
सिर्फ उज्जैन मनाई जाती है हनुमान अष्टमी
शुक्रवार 16 दिसंबर को उज्जैन में धूमधाम से हनुमान अष्टमी मनाई गई। माना जाता है कि उज्जैन नगर की चारों दिशाओं की रक्षा करने के लिए हनुमान मंदिरों की स्थापना की गई थी। इसलिए पूरे उज्जैन के आसपास 108 हनुमान मंदिर हैं। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में इनका उल्लेख भी मिलता है। यही वजह है कि हनुमान अष्टमी का पर्व केवल उज्जैन में मनाने की परंपरा है।
पं. अमर डब्बावाला कहते हैं कि महाकाल की नगरी में रूद्र स्वरूप में भगवान हनुमान भी विराजमान हैं। मलमास के साथ यह महीना धनु संक्रांति का भी माना गया है, साथ ही सूर्य की साधना भी इस महीने में करने का विशेष महत्व है। इसी महीने में संयोग से हनुमान अष्टमी भी आती है।
क्यों चर्चित हैं गैबी हनुमान
गैबी हनुमान के बारे में कहा जाता है कि कई वर्षों पहले एक व्यक्ति को हनुमानजी ने स्वप्न में कहा कि मुझे इस बावड़ी से बाहर निकालो। स्वप्न के मुताबिक बावड़ी में मूर्ति भी निकली और उस व्यक्ति ने एक पत्थर की बड़ी थाल रखकर उन्हें बावड़ी के ऊपर ही विराजित कर दिया। हनुमानजी की मूर्ति को जब बावड़ी से निकाला तो उनका स्वरूप लाल और तेज युक्त था। उसी समय उनका नाम गैबी हनुमान पड़ गया। लेकिन, अब वहां बावड़ी नहीं दिखती है। कहा जाता है कि हनुमानजी स्वयं पाताल में से निकले और उनके पैरों के नीचे अहिरावण की कुल देवी की प्रतिमा है। इसलिए हनुमानजी की कहानी अहिरावण से भी जुड़ी हुई है। अहिरावण ने अपनी कुलदेवी को प्रसन्न करने के लिए राम औरलक्ष्मण को बंदी बनाकर पाताल में अपनी कुलदेवी को बली चढ़ाने के लिए ले गया, तब हनुमानजी ने राम और लक्ष्मण दोनों को अहिरावण से मुक्ति कराया और कुलदेवी की प्रतिमा को अपने पैरों में कुचल दिया। आज भी वह प्रतिमा उज्जैन के गैबी हनुमानजी के पैरों के नीचे कुचले हुए खड़ी है।
चमत्कारिक है यह प्रतिमा
गैबी हनुमान की प्रतिमा चमत्कारिक मानी जाती है। बजरंगबली को रोजाना हिंगलु यानी लाल रंग और चमेली के तेल से श्रृंगार कराया जाता है। कहा जाता है कि इसके बाद श्रीराम के सबसे प्रिय भक्त अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां गुड़-चना चढ़ाने से हनुमान प्रसन्न हो जाते हैं। मंदिर से अभिमंत्रित किया हुआ एक काला धागा (गोप) पहनने से किसी को बुरी नजर नहीं लगती। खासकर बच्चों को लेकर माता-पिता भी बड़ी संख्या में आते हैं। देश में पहला स्थान हैं जहां हनुमानजी का श्रंगार हिंगलू और चमेली के तेल से होता है। गेबी हनुमान को डाक्टर हनुमान भी इसलिए कहते हैं कि यहां टूटी हुई हड्डी भी जुड़ जाती है।