गुप्त गंगा के नाम से जानी जाती है
महाकाल की नगरी में शिप्रा नदी के किनारे योगेश्वर महादेव मंदिर के नीचे जमीन से एक बड़ी जलधारा निकली है, जिसे गुप्त गंगा के नाम से जाना जाता है। रामघाट के आगे चलकर इस नदी के नाम पर ही गंगाघाट भी बना हुआ है, जहां सिंहस्थ व अन्य पर्वों के दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। इसी गंगाघाट पर प्रसिद्ध मौनीबाबा का आश्रम है, जहां प्रतिवर्ष दिसंबर में जन्मोत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश के ख्याति प्राप्त कलाकार हिस्सा लेते हैं।
यहां तीन नदियों का होता है संगम
राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की नगरी में एक स्थान है त्रिवेणी घाट का नवग्रह मंदिर। इस स्थान को त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है। इस घाट पर तीन नदियों का संगम होता है, इसलिए इसका नाम त्रिवेणी घाट पड़ा। शिप्रा तट पर स्थित त्रिवेणी घाट पर प्राचीन शनि नवग्रह मंदिर है, जहां शनिश्चरी अमावस्या और शनि जयंती पर लाखों श्रद्धालुओं का जमघट रहता है।
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इन नदियों के मिलने से बना संगम तीर्थ
यह स्थान तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। त्रिवेणी घाट पर ही शिप्रा, खान (ख्याता) और सरस्वती नदियों का संगम होने से इस घाट का नाम संगम तीर्थ पड़ा। इंदौर के लोग खान नदी को विभिन्न नामों से जानते हैं। शिप्रा के जल को स्वच्छ रखने के उद्देश्य खान को सिंहस्थ के पूर्व प्रशासन द्वारा मार्ग बदला गया था।
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शिप्रा-गंगा द्वार
रामघाट पर शिप्रा-गंगा द्वार बना है, जहां सुबह और सायंकाल शिप्रा की भव्य आरती की जाती है। इसके अलावा शिप्रा-गंगा मंदिर भी यहां बना हुआ है, जहां माता की प्रतिमा मौजूद है। शिप्रा तट पर सावन-भादौ में भगवान महाकाल स्वयं पधारते हैं, जहां पतित पावनी के जल से उनका अभिषेक होता है। लोग इस दृश्य को देखने दूर-दूर से आते हैं।
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