काल गणना अनुसार 31 अक्टूबर ज्यादा सही, इसी दिन अमावस्या
वयोवृद्ध ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास का कहना है हमारा पंचांग सबसे पुराना है, उसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर में ग्वालियर स्टेट का पंचांग लागू होता है, इन दोनों ही पंचांगों में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का उल्लेख है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला का कहना है कि 31 तारीख को ही मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित है, क्योंकि काल गणना और ज्योतिष विधि के अनुसार 31 को ही अमावस्या होना माना जा रहा है। 1 नवंबर को शाम होने से पहले ही अमावस्या खत्म हो जाएगी।
ज्योतिषाचार्य अजय शंकर व्यास का कहना है, हिंदू धर्म में 5 दिन दीपोत्सव मनाने की परंपरा है। इस अनुसार 31 को दीपावली मनाना श्रेष्ठकर होगा, क्योंकि 1 नवंबर को सुबह 7 बजे अमावस्या खत्म हो जाएगी।
कार्तिक अमावस्या को ही क्यों मनाई जाती है दीवाली
दरअसल माना जाता है कि दीपावली (Diwali 2024) के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। भगवान श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। इस दिन कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की काली गहरी अंधेरी रात थी, जो हजारों दीयों की रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से आज तक भारत में हर साल प्रकाश का महापर्व दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है।